लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में उधर पुथल मची हुई है। राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि वह इस्तीफा देंगे। लिहाजा पार्टी में किसी अन्य नेता को अध्यक्ष की कमान सौंपी जाए। फिलहाल आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे का नाम कांग्रेस के अध्यक्ष के लिए तेजी से उभरा है। जबकि कुछ दिन पहले तक अशोक गहलोत का नाम तेजी से उभर रहा था। गुरुवार को राहुल द्वारा अपना दर्द बयां करने के बाद कांग्रेस में इस्तीफों की बाढ़ गयी है।

अब सवाल ये उठ रहा है कि कहीं राहुल गांधी कांग्रेस में कामराज प्लान-2 तो लागू नहीं कर रहे हैं। जिसके जरिए वह पार्टी में ओवरहोलिंग कर फिर से संगठन को मजबूत करेंगे और चुनाव के लिए तैयार करेंगे। अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा इससे पहले पूरी कवायद कर राहुल गांधी एक नए अभियान में जुटना चाहते हैं।

गुरुवार को राहुल गांधी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद किसी भी प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और पदाधिकारी ने हार की जिम्मेदारी उठाते हुए इस्तीफा नहीं दिया। राहुल का ये कहना था और कांग्रेस के नेताओं में इस्तीफा देने की बाढ़ सी आ गयी। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति हुई। प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जगह मोहन मकरान को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

अभी तक 200 से ज्यादा कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। यूपी हो या फिर मध्य प्रदेश में सभी नेता इस्तीफा देने की कतार पर हैं। पार्टी के सचिव, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और सेवादल के पदाधिकारियों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं। पार्टी के महासचिव दीपक बावरिया, गोवा के प्रदेश अध्यक्ष और तेलंगाना के कार्यकारी अध्यक्ष पुन्नम प्रभाकर, पार्टी के विधि विभाग के प्रमुख विवेक तनखा ने इस्तीफा दे दिया है।

कांग्रेस के भीतर सामूहिक इस्तीफों के पीछे सबसे बड़ी वजह पार्टी के भीतर संगठन का कायाकल्प करना है। चुनाव परिणाम घोषित होने के करीब एक महीने से ज्यादा होने के बाद भी कांग्रेस के नेता राहुल की तरफ देखते रहे। लेकिन राहुल ने किसी से इस्तीफा देने को नहीं कहा बल्कि खुद इस्तीफा दिया। लेकिन उन्होंने अपना दर्द सार्वजनिक किया तो कांग्रेसियों को इसकी सुध आयी।

क्या है कामराज प्लान-2

असल में साठ के दशक में कांग्रेस के अध्यक्ष के कामराज ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कामराज प्लान को लागू किया था। इस प्लान के तहत के. कामराज ने एक सिंडीकेट सिस्टम शुरु किया था। जिसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय कैबिनेट के मंत्रियों से इस्तीफा लेकर उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी गयी। कामराज 1963 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। इस प्लान को लागू करने का मकसद ये था कि कांग्रेस की आम लोगों में पकड़ कमजोर हो रही थी।

लिहाजा नई ऊर्जा को फूंकने के लिए उन्होंने सबसे पहले इस्तीफा दिया और उनके साथ ही लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, मोरारजी देसाई तथा एसके पाटिल जैसे दिग्गजों सरकारी पदों से इस्तीफा दिया। कामराज प्लान की बदौलत वह केंद्र की राजनीति में इतने मजबूत हो गए शास्त्री और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की रही। वह तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे।