भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने फिर से इतिहास रच दिया है। इसरो वैज्ञानिकों ने अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV C-42  के जरिए दो ब्रिट्रिश उपग्रहों- नोवासार और एस 1- 4 को धरती की कक्षा में स्‍थापित कर दिया।

450 किलोग्राम वजन के इन दो उपग्रहों का निर्माण ब्रिट्रिश कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने किया है।
इस प्रक्षेपण के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई एन्ट्रिक्‍स कोर्पोरेशन लिमिटेड ने  एग्रीमेन्ट किया था। 

 

 

दुनिया भर में सैटेलाइट लांच करने का बाजार तेजी से बढ़ा है। जिसमें इसरो तेजी से अपनी जगह बना रहा है। हालांकि उपग्रह प्रक्षेपण के बाजार में इसरो की हिस्सेदारी फिलहाल बेहद कम है। दुनिया भर में उपग्रह प्रक्षेपण का कारोबार 33500(तैंतीस हजार पांच सौ) करोड़ डॉलर का है। लेकिन भारत का हिस्सा इसमें अभी महज एक फीसदी ही है।
 
उपग्रह प्रक्षेपण के व्यवसायिक कार्यों के लिए एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड की स्थापना की गई है। जो पूरी तरह भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण अंतरिक्ष विभाग के पास है। 

इसरो ने पहली बार 23 अप्रैल, 2007 को व्‍यावसायिक उद्देश्‍य के लिए राकेट लांच किया था। इसके बाद 10 जुलाई 2015 को इसरो ने एक और उपलब्धि हासिल की जब उसने PSLV C-28 से पांच ब्रिट्रिश उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया, जिसका कुल वजन एक हजार 439 किलोग्राम था। 

इसरो अब तक 28 देशों के 237 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपण कर चुका है। इसके साथ इसरो लगातार अपनी क्षमता और तकनीक को बढ़ाने में जुटा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा विदेशी उपग्रहों को लांच करके बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा कमाई जा सके।