नई दिल्ली: इसरो ने रडार इमेजिंग सैटेलाइट Risat- 2BR1 का सफल परीक्षण किया है। यह सैटेलाइट घने अंधेरे और बादलों के बीच से भी रात में बिल्कुल साफ तस्वीरें ले सकता है। 

इसरो ने इस सैटेलाइट का प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से किया। यह सैटेलाइट खबार मौसम में भी सटीक निगरानी करने की क्षमता से लैस है। 

यह सैटेलाइट धरती पर मौजूद किसी भी वस्तु की तस्वीर ले सकती है। इससे दुश्मनों पर नजर रखने के साथ ही किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय भी सटीक आंकड़े जुटा सकता है। 

Risat- 2BR1 अपनी कैटेगरी की चौथी सैटेलाइट है। इसरो ने इसके पहले इस सीरिज की तीन सैटेलाइट लांच की है। हालांकि यह सैटेलाइट अपनी पूर्ववर्ती सैटेलाइट से ज्यादा उन्नत है। क्योंकि इसके साथ सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इमेजर भी भेजा गया है। जिसकी वजह से इसकी निगरानी और तस्वीर खींचने की क्षमता में कई गुना बढ़ोत्तरी हो गई है।
 
हालांकि अभी तक इसरो के पास रेगुलर रिमोट सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग तकनीक वाले सैटेलाइट थे। जिनकी पकड़ में धरती पर चल रही छोटी मोटी गतिविधियां नहीं आती थीं। लेकिन Risat- 2BR1 के साथ गया सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इमेजर अब सटीक फोटो खींचने में सक्षम है। 

यह सैटेलाइट नौसेना के लिए भी बेहद उपयोगी है। क्योंकि इससे समुद्र की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है। Risat- 2BR1 की निगाह से समुद्र में दुश्मन के जहाजों की आवाजाही बच नहीं सकती है।

Risat- 2BR1 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके जरिए दुश्मन को चौंकाने वाली सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कारनामे और ज्यादा आसान हो जाएंगे। क्योंकि Risat- 2BR1 बेहद सटीक जानकारी भेजता है, जो कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए बेहद जरुरी होता है।  

साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक में पुराने रीसैट सैटेलाइट की भेजी हुई तस्वीरों से काफी मदद मिली थी। इन्हीं का इस्तेमाल बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी किया गया था।  

रीसैट सीरीज की सैटेलाइट को इजरायल में विकसित किया गया है। सबसे पहली बार रीसैट को साल 2008 में मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद लांच किया गया था।