पांचवीं पीढ़ी का प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क 3- डी2 तीन चरणों वाला रॉकेट है। इसमें लगा है क्रायोजेनिक इंजन।
इसरो ने अपने खाते में एक और उपलब्धि दर्ज करते हुए अपने सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3-डी 2 रॉकेट से देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट - 29 का बुधवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह उपग्रह पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के दूर दराज के इलाकों में लोगों की संचार जरूरतों को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर इसरो को बधाई दी है।
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— PIB India (@PIB_India) November 14, 2018
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..and WE HAVE LIFT OFF...@ISRO takes India to space again..successfully launches #GSLVMkIIID2 with #GSAT29..congratulations India #ISROMissions 🚀 pic.twitter.com/HnDwtxJasK
प्रक्षेपण के लिए 27 घंटों की उलटी गिनती मंगलवार दोपहर दो बज कर 50 मिनट पर शुरू हुई थी। रॉकेट चेन्नई से 100 किमी से भी अधिक दूर स्थित श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शाम पांच बजकर आठ मिनट पर रवाना हुआ।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा कि जीसैट - 29 उपग्रह का वजन 3,423 किग्रा है। इसमें ‘का’ एवं ‘कु’ बैंड के ट्रांसपोंडर लगे हुए हैं, जिनका मकसद केंद्र के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में मदद करने के अलावा पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर के दूर दराज के क्षेत्रों में संचार सेवाएं मुहैया करना है।
प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद उपग्रह के भूस्थैतिक कक्षा में प्रवेश करते ही इसरो के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। सिवन ने कहा कि देश ने इस सफल प्रक्षेपण और उपग्रह के जीटीओ (भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा) में प्रवेश करने के साथ एक अहम मुकाम हासिल कर लिया है।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह घोषणा करते हुए काफी खुश हूं कि हमारा सबसे भारी लांचर(रॉकेट) अपने दूसरे अभियान में भारतीय सरजमीं से सबसे भारी उपग्रह जीसैट 29 को लेकर रवाना हुआ और 16 मिनट की शानदार यात्रा के बाद यह लक्षित जीटीओ में पहुंच गया।’
इसरो वैज्ञानिकों ने इस प्रक्षेपण को अंतरिक्ष एजेंसी के लिए काफी अहम बताया है क्योंकि इस रॉकेट का इस्तेमाल महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान - 2’ अभियान और देश के मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए किया जाएगा।
सिवन ने कहा कि इस रॉकेट का प्रथम ‘ऑपरेशनल मिशन’ जनवरी 2019 में चंद्रयान के लिए होने जा रहा है। यह शानदार रॉकेट अब से तीन साल के अंदर मानव को अंतरिक्ष में ले जाना वाला है।
चक्रवात गाजा से उपग्रह प्रक्षेपण की योजना को कुछ समस्या पेश आई थी, लेकिन अनुकूल मौसम रहने से रॉकेट को तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रक्षेपित किया गया।
इसरो ने कहा कि उपग्रह को इसकी आखिरी भूस्थैतिक कक्षा में उसमें लगी प्रणोदक प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए पहुंचाया जाएगा। रॉकेट से उपग्रह के अलग होने के बाद निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है।
गौरतलब है कि पांचवीं पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क 3 - डी2 तीन चरणों वाला एक रॉकेट है। इसमें क्रायोजेनिक इंजन लगा हुआ है। इस यान का विकास इसरो ने किया है। इसे 4000 किग्रा तक के उपग्रहों को जीटीओ में पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है।
ठोस और तरल चरणों की तुलना में सी 25 क्रायोजेनिक चरण कहीं अधिक सक्षम है। इसरो का यह उपग्रह करीब 10 साल सेवा देगा।
उपग्रह के प्रक्षेपण के आठ मिनट बाद भूस्थैतिक कक्षा में प्रवेश करने का कार्यक्रम है। यह प्रक्षेपण निर्धारित समय पर हुआ है। इसरो द्वारा निर्मित यह 33 वां संचार उपग्रह है।
Last Updated Nov 15, 2018, 9:33 AM IST