आयकर विभाग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पर अपनी आय को छिपाने के लिए नोटिस जारी किया है. विभाग का कहना है कि दोनों नेताओं की वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान घोषित आय और मूल्यांकन में अंतर है. दोनों नेताओं की इस दौरान 155.41 करोड़ रुपए और 154.96 करोड़ रुपए की आय थी. विभाग ने सोनिया गांधी को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड मामले में आय को लेकर फिर से मूल्यांकन किया है.
आयकर विभाग के मुताबिक गांधी परिवार ने करीब 3 सौ करोड़ की छिपाई और इसके लिए उन पर करीब 1 सौ करोड़ रुपए की टैक्स की देनदारी है. इसके लिए विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए 31 दिसंबर को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और आस्कर फर्नांडिज को 2011-12 के लिए नोटिस दिया है.

जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने जो अपना इनकम टैक्स का रिटर्न दाखिल किया था, उसके मुताबकि उन्होंने 68.12 लाख रुपए की आय दिखाई थी. जबकि कांग्रेस नेता आस्कर फर्नांडिस ने 48.93 करोड़ रुपए की आय आयकर विभाग को दिखाई थी. सुप्रीम कोर्ट में टैक्स मूल्यांकन को फिर किए जाने पर सोनिया गांधी की तरफ से पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम पेश हुए, उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को दी गए 44 करोड़ रुपए की नोटिस को दोबारा पुनर्माल्यांकन किया गया है. जो गलत है.

इनकम टैक्स विभाग द्वारा फिर से मूल्यांकन करने फैसले को जस्टिस जस्टिस सीकरी की अगुवाई वाले बेंच में चुनौती देते हुए चिंदबरम ने कहा कि विभाग द्वारा 141 करोड़ रुपए की आय को छिपाने का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि यह राशि वह यंग इंडिया के दारा 1900 शेयरों से हासिल की गयी है. इस मामले में गांधी परिवार ने कोर्ट से गुजारिश की है कि इस आय के लिए कोई कानूनी बाध्यताएं नहीं तो क्योंकि यंग इंडिया एक स्वयंसेवी संस्थान है और इससे किसी भी निदेशक को न तो कोई डिवीडेंट मिलता है और न हो कोई ब्याज मिलता है. चिदंबरम ने कहा कि गलती से इनकम टैक्स विभाग विभाग ने 407 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया

जबकि कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज है. उन्होंने कहा कि विभाग ने तय समय में कोई भी नोटिस नहीं दिया और इसी के तहत कांग्रेस नेताओं ने इनकम टैक्स का फायदा लिया. चिदंबरम ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि सीबीडीटी ने 31 दिसंबर को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 56(2)(8)(ए) के तहत एक सर्कुलर जारी किया. किसी कंपनी  के द्वारा किसी निश्चित समय में दिए गए शेयर पर ये नियम लागू नहीं होता है. लेकिन चार जनवरी को इसे वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा कि बोर्ड इस बारे में जांच कर रहा है कि आखिर विभाग ने कैसे नोटिस जारी कर सकता है. चिदंबरम के इन तर्कों का विरोध करते हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एसेसिंग आफिसर इसके लिए बाध्य है कि वह बोर्ड के फैसलों पर जांच कर सकता है.

इसके बाद कोर्ट ने दोनों गांधी लिए एक हफ्ते के भीतर ऐफिडेविट फाइल करने का आदेश दिया इसके अलावा कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को काउंटर एफिडेविट देने को भी कहा अब इस मामले में सुनवाई 29 जनवरी को होगी. इससे पहले उनकी याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी और आस्कर फर्नांडिज को यंग इंडिया से मिले शेयर को घोषित करने का आदेश दिया