नई दिल्ली। हरियाणा में सरकार बनाने की कोशिश कर रही कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता आसान नहीं है। अगर दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी कांग्रेस को समर्थन भी दे देती है तो भी कांग्रेस के पास सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा नहीं है। इसके लिए कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों की मदद लेनी ही होगी। हालांकि अभी तक किसी भी निर्दलीय विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात नहीं कही है।

हालांकि हरियाणा में कांग्रेस के लिए संकटमोचक बने हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला की सभी मांगों को मानने की बात कही है। हुड्डा ने कहा कि जेजेपी जो मांग उठा रही है वह पहले से ही कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में थे। लिहाजा अगर जेजेपी कांग्रेस को समर्थन देती है तो उसे सम्मान दिया जाएगा और दुष्यंत के अन्य सुझावों पर भी कांग्रेस विचार करेगी। असल में राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत है।

जबकि कांग्रेस के पास अकेले 31 विधायक हैं। वहीं जेजेपी के पास दस विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस और जेजेपी के गठबंधन सरकार में इनेलो के शामिल होने की उम्मीद कम ही है। क्योंकि दुष्यंत ने इनेलो से अलग होकर ही जेजेपी का गठन किया था। लिहाजा घर की लड़ाई में फिलहाल एकता का उम्मीद कम ही है। लिहाजा कांग्रेस को  सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों को मदद लेनी होगी।  हालांकि हुड्डा की पूरी कोशिश ये है कि भाजपा के खिलाफ लड़े सभी दल एक साथ मिलकर सरकार चलाए।

हालांकि हुड्डा को पहले से गठबंधन की सरकार चलाने का अनुभव है। 2009 में उन्होंने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चलाई है।  हालांकि अभी तक हुड्डा पूरी तरह से दुष्यंत के सामने नतमस्तक हैं और उन्होंने  'न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी)' के तहत सरकार चलाने पर हामी भी भर दी है। हालांकि दूसरी तरफ खबर ये भी आ रही है कि जेजेपी भाजपा के साथ जा सकती है। आज देर रात तक दुष्यंत चौटाला की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात हो सकती है।

क्योंकि राज्य में सरकार बनाने से भाजपा नहीं चूकना चाहती है और इसके लिए अमित शाह अहमदाबाद से लौट रहे हैं। हालांकि चौटाला ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह भाजपा के साथ जा सकते हैं। क्योकि उन्होंने कहा कि वह स्थिर और मजबूत सरकार के साथ जा सकते हैं।

कांग्रेस के साथ जाने के में है नुकसान

असल में जेजेपी को कांग्रेस के साथ जाने में नुकसान है। क्योंकि कांग्रेस के साथ जाने में कई धड़े हो जाएंगे। मसलन कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिलेगा। जिसके कारण जेजेपी की ताकत कम होगी। वहीं भाजपा के साथ जाने में जेजेपी मजबूत सहयोगी पार्टी रहेगी। यही नहीं केन्द्र में भी भाजपा की सरकार होने के कारण उसकी हैसियत बढ़ जाएगी। वहीं कांग्रेस का वोट बैंक वहीं है जो जेजेपी का है और सत्ता में दो जाट नेता हो जाएंगे। क्योंकि जेजेपी अगर कांग्रेस की अगुवाई में सरकार में शामिल होती है तो उसे जाट नेता हुड्डा के तहत राज्य की राजनीति  करनी होगी।