अमरावती। आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती से विशाखापत्तनम करने के राज्य की जगन मोहन रेड्डी सरकार के फैसले पर अब राज्य के मुख्य विपक्षी दल के नेता चंद्रबाबू नायडू अलग थलग पड़ चुके हैं। जगन को अब केन्द्र सरकार भी साथ मिल गया है। केन्द्र सरकार ने साफ किया है कि राज्य की राजधानी का फैसला राज्य का मामला है और केन्द्र इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

असल में रेड्डी राज्य की राजधानी को तीन स्थान पर बनाना चाहते हैं। ताकि राज्य की जनता को समुचित संसाधन मिल सके और अपने सरकारी कार्यों के लिए जगह जगह नहीं भागना पड़े। इसका विरोध राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू कर कर रहे हैं। वहीं राज्य सरकार का मानना है कि अमरावती के राजधानी बनने के वक्त राज्य में जमीन के कई घोटाले हुए हैं राज्य में कई राजनैतिक दलों ने अमरावती में जमीन खरीदी है। वहीं सीआईडी और ईडी ने जमीन घोटाले की जांच शुरू  कर दी है।

फिलहाल आंध्र प्रदेश में विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी अमरावती से विशाखापत्तनम की राजधानी शिफ़्ट करने के मामले में अलग पड़ चुकी है। टीडीपी का कहना है कि इससे किसानों को भारी नुकसान होगा। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने राज्य की प्रशासनिक राजधानी को अमरावती से विशाखापत्तनम स्थानांतरित करने का फैसला कर चुके हैं।

वहीं के्द्र सरकार मंगलवार को स्पष्ट कर दिया था कि यह राज्य का विशेषाधिकार है कि वह अपनी राजधानी कहां बनाए। वहीं केन्द्र सरकार ने साफ कर दिया था कि वह आंध्र प्रदेश में वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के लिए तीन राजधानियों की स्थापना का फैसला किया गया है। फिलहाल राज्य में इस मामले को लेकर राजनीति चरम पर है। वहीं टीडीपी इसे राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार बना रही है।