जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के करीब तीन दशक बाद यह बड़ी खबर आई है। बारामूला जिले में बुधवार को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए। इस कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़ा दावा किया है। राज्य पुलिस के मुताबिक अब बारामूला में एक भी स्‍थानीय आतंकी जीवित नहीं बचा है। ऐसा 29 साल बाद संभव हुआ है। पुलिस ने बरामूला को स्‍थानीय आतंकी रहित क्षेत्र घोषित कर दिया है। खास बात यह है कि बारामुला को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है। 

हालांकि अभी श्रीनगर में बाहरी जिलों में विदेशी आतंकियों की आवाजाही व गतिविधियां जारी हैं लेकिन सेना का ऑपरेशन ऑलआउट पूरी तेजी से जारी है। बारामुला में सुरक्षा बलों का ऑपरेशन खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि बुधवार को हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों के सफाए के बाद अब कोई भी जीवित आतंकी नहीं बचा है। साफियाबाद इलाके में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान में आतंकियों को मार गिराया गया था। आतंकियों के पास भारी मात्रा में हथियारों की बरामदगी भी की गई थी। 

बारामूला को आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक माना जाता है। आतंकियों के खिलाफ सघन अभियान से सुरक्षा बलों को यह कामयाबी हासिल हुई है। बारामूला का सोपोर इलाका आतंकवाद से ज्यादा प्रभावित रहा है। आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए सेना ने ऑपरेशन ऑलआउट चला रखा है। बारामूला जिले के उड़ी में 2016 में सेना के कैंप पर हमला किया गया था। आतंकियों के कायराना हमले में 16 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के जवाब में सेना ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। 

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आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने बारामूला जिले के बिन्नेर इलाके की घेराबंदी की और तलाशी अभियान शुरू किया था। इस दौरान शुरू हुई मुठभेड़ के बाद तीन आतंकी मार गिराए गए। मारे गए आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और उनकी पहचान सुहैब फारूक अखून, मोहसिन मुश्ताक भट और नासिर अहमद दर्जी के तौर पर हुई। उन्होंने कहा कि वे उत्तरी कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी कई वारदात में शामिल रहे थे।

ऱाज्य में 72 घंटे में सुरक्षा बलों ने अलग-अलग मुठभेड़ों में नौ आतंकियों को मार गिराया है। इस साल जनवरी महीने में अब तक 16 आतंकियों को ढेर किया जा चुका है। मारे गए आतंकियों में सबसे ज्यादा संख्या हिजबुल मुजाहिदीन के दहशतगर्दों की है। सेना साफ कर चुकी है कि देश के खिलाफ बंदूक उठाने वाले का अंजाम गोली है।