कश्मीर में आए दिन मारे गए आतंकियों के शवों को लेकर रोष प्रदर्शन होते हैं वहीं जम्मू में मुस्लिम समुदाय ने देशभक्ति की नई मिसाल पेश की है। जम्मू के ककरियाल में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को दफनाने के लिए स्थानीय मुस्लिमों ने कब्रिस्तान में जगह देने से मना कर दिया है। ये तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे।

जम्मू के झज्जर कोटली इलाके में 13 सिंतबर को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ मारे गए जैश के 3 पाकिस्तानी आतंकियों को स्थानीय प्रशासन को उस समय एक अज्ञात जगह दफनाना पड़ा जब स्थानीय मुसलमानों ने उन्हें कब्रिस्तान में जगह देने से मना कर दिया।

'माय नेशन' से बात करते हुए एसएसपी रियासी निशा नथयाल ने बताया कि स्थानीय लोगों ने आतंकियों के शवों को दफनाने के लिए जगह नहीं दी जिसके बाद तीनों आतंकियों के शवों को एक अज्ञात जगह पर दफना दिया गया। 

मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने बताया कि एनकाउंटर के बाद स्थानीय प्रशासन ने यह प्रयास किया कि इन पाकिस्तानी आतंकियों को पास के कब्रिस्तान में दफनाया जाए लेकिन स्थानीय मुस्लिमों के विरोध के बाद उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर दफना दिया गया। 

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने रियासी के मुस्लिम समुदाय को इस कदम के लिए सलाम किया हैं। 'माय नेशन' से बात करते हुए रैना ने कहा कि रियासी के मुस्लिमों ने इस्लाम और उसके पैगम्बरों के सच्चे अनुयायियों होने का परिचय दिया है जिसको पूरा देश सलाम करता है। इसके साथ ने उन्होंने कहा कि रियासी के मुस्लिमों ने देशभक्ति और इंसानियत की एक नई मिसाल पेश की है। 

जम्मू में यह पहली बार नहीं है कि स्थानीय मुस्लिमों ने आतंकियों के शवों को कब्रिस्तान में जगह देने से मना कर दिया है। इससे पहले नगरोटा और सुनजवां आतंकी हमले में शामिल आतंकियों को भी कब्रिस्तान में जगह नहीं मिली थी। इतना है नहीं कुछ वर्ष रियासी के इमाम ने इलाके में मारे गए 2 पाकिस्तानी आतंकियों का नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि आतंकी इस्लाम के दुश्मन हैं।

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