महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया है कि मोदी सरकार को श्रीलंका की तरह भारत में भी बुर्के को बैन करना चाहिए। इसके बाद से बुर्के पर प्रतिबंध को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है।
नई दिल्ली। श्रीलंका सरकार ने कोलंबो में ईस्टर के दिन हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद बुर्के पर बैन लगा दिया। इसके बाद भारत में भी बुर्के पर प्रतिबंध की मांग तेज होने लगी है। इस बीच केरल की एक मुस्लिम शिक्षण संस्था का सर्कुलर देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस संस्था ने अपने मातहत चलने वाले शैक्षणिक संस्थानों में बुर्का अथवा नकाब पहनने पर रोक लगा दी है। हालांकि भारत में अभी इस मुद्दे को लेकर वैचारिक मतभेद बना हुआ है। प्रख्यात गीतकार जावेद अख्तर ने इस मामले को नया रंग देते हुए बुर्के पर बैन से पहले घूंघट पर रोक लगाने की मांग की है।
अख्तर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘अगर आप भारत में बुर्के पर रोक लगाने के लिए कानून बनाना चाहते हैं और अगर यह किसी का विचार है, तो मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन राजस्थान में चुनाव से पहले सरकार को राज्य में घूंघट की प्रथा पर रोक लगाने की घोषणा करनी चाहिए।’
दरअसल, महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया है कि मोदी सरकार को श्रीलंका की तरह भारत में भी बुर्के को बैन करना चाहिए। इसमें बुर्के को एक बड़ा ‘खतरा’ बताया गया है।
उधर, बांग्लादेश के प्रख्यात लेखिका और मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज कही जाने वाली तस्लीमा नसरीन ने भी बुर्के पर बैन की मांग की है। तस्लीमा ने ट्विटर पर एक बड़ा बयान देते हुए कहा, ‘हो सकता है कि इससे आतंकवाद नहीं थमेगा लेकिन यह महिलाओं को फेसलेस जॉम्बी बनने से रोकेगा।’
People are saying banning the burqa won’t stop terrorism. I agree, it won't stop terrorism but it will definitely stop women from being faceless zombies.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 1, 2019
तस्लीमा ने कुरान के हवाले से कहा, ‘कुछ लोगों का कहना है कि बुर्के पर बैन लगाना धार्मिक आजादी के खिलाफ है। हत्या करने से रोकना भी तो धार्मिक आजादी के खिलाफ है। पवित्र कुरान (9:123, 2:191,9:5) में कहा गया है कि उसके अनुयायियों को इस्लाम में भरोसा न रखने वालों को मार देना चाहिए। किसी को भी दूसरों को नुकसान पहुंचाकर धार्मिक आजादी का लुत्फ उठाने का अधिकार नहीं है।’
People are saying banning burqa is against religious freedom. Then banning murder is also against religious freedom. Holy Quran (9:123, 2:191,9:5) asks believers to kill people who don't believe in Islam. Nobody should have the right to enjoy religious freedom by harming others.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 1, 2019
उधर, जावेद अख्तर के विचार से उलट केरल की एक मुस्लिम शिक्षण संस्था बुर्के पर रोक के विचार पर गंभीर नजर आ रही है। उसने अपने यहां पढ़ने वाली छात्राओं के बुर्का अथवा नकाब पहनने पर रोक लगा दी है।
यह भी पढ़ें - मुस्लिम सोसायटी ने कॉलेज में बुर्का पहनने पर लगाया प्रतिबंध, राजनीति शुरू
वहीं विवाद बढ़ने पर जावेद अख्तर ने अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘कुछ लोग मेरे बयान को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने कहा था कि भले ही श्रीलंका में यह कदम सुरक्षा के चलते उठाया गया है लेकिन इसके लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है। चेहरे को ढंकना बंद होना चाहिए। फिर चाहे वह नकाब से ढका हो या घूंघट से।’
Some people are trying to distort my statement . I have said that may be in Sri Lanka it is done for security reasons but actually it is required for women empowerment . covering the face should be stopped whether naqab or ghoonghat .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 3, 2019
Last Updated May 3, 2019, 5:14 PM IST