सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का प्रमुख बनाने के बाद रेस में पीछे रहे अफसर अपने इसके लिए जाति धर्म और मजहब को कारण बताकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाने वाले यूपी कैडर के आईपीएस अफसर जावीद अहमद को तीन साल पहले राज्य की सपा सरकार ने कई वरिष्ठ अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर प्रदेश का डीजीपी नियुक्त किया था। सीबीआई चीफ की दौड़ में शामिल यूपी कैडर के आईपीएस अफसर जावीद अहमद ने कहा कि उनका एम होना सबसे बड़ा गुनाह है और इसके कारण उन्हें सीबीआई चीफ नहीं बनाया गया।

जावीद अहमद उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर हैं। वह भी सीबीआई चीफ के लिए दावेदार थे। लेकिन केन्द्र सरकार ने मध्य प्रदेश कैडर के ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई चीफ नियुक्त किया। शुक्ला को चीफ नियुक्त करने के बाद जावीद अहमद ने व्हाट्सएप्प के जरिए अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि उनका ‘एम’ होना गुनाह है और इसके कारण उन्होंने सीबीआई का चीफ नियुक्त नहीं किया गया। हालांकि ये मैसेज व्हाट्सएप्प के जरिए राज्य की नौकरशाही में तेजी से वाइरल हो गया है।

लेकिन अहमद का कहना है कि ये उनका मैसेज नहीं है। अहमद वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रीमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस के निदेशक के पद पर हैं। उधर कुछ अफसरों ने अहमद के इस आरोप पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। असल में जबकि जावीद अहमद को जनवरी 2016 में कई आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर राज्य की सपा सरकार ने डीजीपी बनाया गया था तो उस वक्त भी ये कहा जा रहा था कि उनका ‘एम’ होना ही उनकी काबिलियत है।

लेकिन बाद राज्य की योगी सरकार ने सत्ता में आते ही उन्हें इस पद से हटा दिया। हालांकि उसके बाद भी यही आरोप लगाए गए थे कि वह ‘एम’ हैं, इसलिए इस पद से हटाया गया है। यूपी में आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर डीजीपी बनाए जाने की परंपरा कोई नई नहीं थी लेकिन सपा सरकार ने जावीद अहमद को इस पद पर नियुक्त किया। उसके बाद मौजूदा डीजीपी ओम प्रकाश सिंह भी चार अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर डीजीपी बने थे।

सोशल मीडिया पर जावीद अहमद को लेकर दो मैसेज वायरल हो रहे हैं। एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि सीबीआई निदेशक के लिए हाई पावर कमेटी में जो तीन नाम फाइनल किए गए थे उसमें अनुभव के आधार पर जावीद अहमद का नाम पहले नंबर पर था। उधर भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि सीबीआई चीफ को नियुक्त करने में सभी नियमों का अनुपालन हुआ है और इसको किसी भी जाति धर्म और मजहब से जोड़कर देखा जाना सरासर गलत है। अगर कोई अफसर ऐसा कर रहा है तो वह अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है।

क्या है ‘एम’
राजनैतिक और नौकरशाही के गलियारे में ‘एम’ का अर्थ मुस्लिम या माइनॉरिटी होता है। असर मुस्लिम नेता ‘एम’ फैक्टर कह कर अपने को पीड़ित मानते हुए लोगों की सहानुभूति हासिल करते हैं।