पटना। राज्य में राष्ट्रीय जनता दल के पांच विधान परिषद सदस्यों को अपने पाले में करने के बाद अब राज्य की सत्ताधारी जनता दल यूनाइडेड के निशाने पर कांग्रेस है। माना जा रहा है कि जदयू कांग्रेस में सेधमारी कर उसके विधायकों को पार्टी में शामिल कराने की योजना पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पांच विधायक जदयू के सीधे संपर्क में हैं। वहीं बड़ी टूट के लिए दो और विधायकों को मनाने की कोशिश की जा रही है।  विधानसभा चुनाव से पहले जदयू कांग्रेस में सेंधमारी कर उसे कमजोर करना चाहती है।


राज्य में चर्चा है कि राज्य सरकार के भवन निर्माण मंत्री डा. अशोक चौधरी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है और आने वाले समय में कभी भी कांग्रेस में टूट हो सकती है। चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं  और जिन  पांच विधायकों के टूटने की चर्चा राज्य में उसमें से तीन उनके काफी करीबी रह चुके हैं। असल में कहा जा रहा है कि चौधरी के कांग्रेस को अलविदा कहते वक्त ये विधायक भी कांग्रेस छोड़ने के फिराक में थे।  लेकिन संख्याबल न होने के कारण विधायकों ने  कांग्रेस को गुड-बाय नहीं कहा। लिहाजा अब राज्य में चुनाव होने हैं और ऐसे में कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद किसी भी तरह खतरा सदस्यता पर नहीं आएगा। लिहाजा पांच विधायक पूरी तरह से कांग्रेस को झटका देने के लिए तैयार हैं।

तकनीक तौर पर अब सदस्यता जाने-रहने का कोई अर्थ नहीं है और पेंशन में भी तकनीकी बाधा नहीं आएगी। जानकारी जो सामने आ रही है उसके मुताबिक दो विधायक ऐसे हैं जो पूर्व में जदयू में ही थे व जिन्हें 2015 के चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ाया गया था। इसमें से एक विधायक मुस्लिम बहुत क्षेत्र कटिहार जिले से हैं दूसरे पड़ोसी झारखंड की सीमा के पास से आते हैं। ये दोनों विधायक दो विधायक  चौधरी के करीबी रह चुके हैं।  हालांकि कांग्रेस भी मान रही है कि चुनाव से पहले राजनैतिक दलों में टूट होती रहती है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस फिर कमजोर होगी।