नई दिल्ली। आज अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य और वकील जफरयाब जिलानी और असदुद्दीन ओवैसी से अपनों ने ही किनारा कर लिया है। वक्फ बोर्ड ने साफ किया है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से आस्था है और वह इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं करेंगे।

असल में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने साफ किया कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के खिलाफ बोर्ड चुनौती नहीं देगा। लिहाजा अब साफ हो गया है कि बोर्ड में जिलानी और ओवैसी अलग-थलग पड़ चुके हैं। हालांकि ओवैसी ने जिस तरह से इस फैसले पर सवाल उठाए, मुस्लिम समाज में ही उनका विरोध शुरू हो गया था।

इस मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने साफ कर दिया था कि वह इस फैसले का सम्मान करते हैं और सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला सबको मान्य है। हालांकि ओवैसी काफी पहले से कह रहे थे कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। उसका स्वागत किया जाएगा। लेकिन आज कोर्ट का फैसला आते ही उनके सुर बदल गए। वहीं बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी के भी सुर बदल गए थे। लेकिन आज सुन्नी वक्फ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट का बोर्ड स्वागत करता है और वह इसके लिए कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं करेगा। आज सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है।

फारूकी साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति या फिर वकील ये कह रहा है कि वह वह इस फैसले को चुनौती देगा। वह सही नहीं है। लिहाजा उन्होंने जिलानी और ओवैसी से किनारा कर लिया है। हालांकि फारुकी ने ये भी कहा कि वक्फ बोर्ड आज के कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहा है।  गौरतबल है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने कई सालों तक चले इस मामले का पटाक्षेप करते हुए फैसला रामलला के हक में सुनाया। कोर्ट ने विवादित जमीन को रामलला का माना और मुस्लिम कों अलग मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ की जमीन अयोध्या में कहीं और देने का फैसला सुनाया।