कुछ महीने पहले अलीगढ़ में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति मो. अली जिन्ना की फोटो के विवाद के बाद फैजाबाद की जेल में काकोरी कांडे के शहीद नायकों के जिन्ना की फोटो लगाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। विहिप और भाजपा जेल प्रशासन के अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग कर रहे हैं। जबकि जेल प्रशासन ने इस मामले पर चुप्पी साधी है।

असल में काकोरी कांड के शहीदों की याद में बुधवार को फैजाबाद की जेल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें कार्यक्रम के आयोजकों ने पाकिस्तान के निर्माता और वहां के पहले राष्ट्रपति मो. अली जिन्ना की फोटो भी लगाई थी। यह कार्यक्रम काकोरी कांड के नायकों को 19 दिसंबर 1927 को अंग्रेजी सरकार द्वारा फांसी दिए जाने की याद में आयोजित किया गया था। अंग्रेजी शासन के दौरान फैजाबाद जेल में अशफाक उल्ला खां को रखा गया था। फैजाबाद जेल में खां की याद में शहीद स्मारक बनाया गया है।

कार्यक्रम के दौरान यहां पर देश की आजादी के शहीदों की फोटो लगाई गयी थी। इस कार्यक्रम में देश की आजादी के नायकों में शामिल बहादुर शाह जफर, मौलाना अब्दुल कलाम और टीपू सुल्तान की फोटो लगाई गयी थी। जबकि इन्हीं शहीदों के साथ मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो लगाई थी। इस कार्यक्रम का आयोजन वामपंथी नेता सूर्यकांत पांडे ने किया था। इस बारे में पांडे का कहना था कि आजादी के इतिहास जिन्ना के बिना अधूरा है और उनका देश की आजादी में बड़ी भूमिका थी। लिहाजा उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है।

इस प्रकरण के बारे में विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि आयोजकों ने बड़ा अपराध किया है। क्योंकि देश के विभाजन के सबसे बड़े जिम्मेदार जिन्ना हैं। उन्होंने कहा कि कि योगी सरकार को इस कार्यक्रम के आयोजकों और जेल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। जबकि स्थानीय भाजपा विधायक का कहना है कि आयोजक जिन्ना की फोटो लगाकर विवाद को जन्म दे रहे हैं और वह इसके जरिए सुर्खियों में आना चाहते हैं। इस प्रकरण की शिकायत की जाएगी। गुप्ता का कहना है कि श्रद्धांजलि को आयोजकों ने विवादों में बदल दिया है। इस मामले में जेल प्रशासन फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।