पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के महागठबंधन के सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी अपने राजनैतिक गुरु नीतीश कुमार की शरण में जा सकते हैं। पिछले कई महीनों में महागठबंधन और राजद के खिलाफ मोर्चा खोले हुए मांझी को राजग से बेहतर से कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। इसके जरिए वह राज्य में अपनी पार्टी का राजनैतिक वजूद बचा सकते हैं।

लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली हार के बाद जीतन राम मांझी ने राजद और महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। जीतनराम मांझी ने महागठबंधन की बैठक के दौरान तेजस्वी के प्रति नाराजगी जाहिर कर दी थी और महागठबंधन के नेता के पद के लिए दावा भी ठोक दिया था। जिसके बाद राजद और हम में में मनमुटाव जारी है। मांझी ने यहां तक कह दिया था कि तेजस्वी को कोई अनुभव नहीं है।

लिहाजा महागठबंधन में नेता कौन होगा इस पर फैसला किया जाए। वहीं राज्य की पांच विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए राजद और कांग्रेस ने महागठबंधन के सहयोगी दलों को कई सीट नहीं दी। जिसके बाद ये माना जा रहा है कि राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से कई सहयोगी दल किनारा कर लेंगे। लिहाजा जीतनराम मांझी राज्य में अपने राजनैतिक वजूद को बचाने के लिए नीतीश कुमार की शरण में जा सकते हैं।

फिलहाल राजग ने तय कर दिया है कि राज्य में राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे  और भाजपा और लोजपा इसमें सहयोगी दल होगी। जाहिर है कि राज्य में जीत फतह करने के बाद नीतीश कुमार ही राज्य के सीएम होंगे।  हालांकि सच्चाई ये भी है विपक्षी दलों के महागठबंधन में जाने के बाद राज्य मे जीतनराम मांझी को नुकसान ही हुआ है। फिलहाल मांझी अगले विधानसभा चुनाव के लिए राजग को बेहतर ठोर समझ रहे हैं। हालांकि इससे राजग को भी फायदा होगा।

क्योंकि विपक्ष जितना कमजोर होगा। राजग उतना ही मजबूत होगा। लिहाजा मांझी फिर से नीतीश कुमार को बेहतर आदमी बता रहे हैं। उन्होंने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने(नीतीश कुमार) ने दलित को मुख्यमंत्री बनाया। यही नहीं उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने मुसहर और भुईया को एक साथ कर अच्छा किया है और इससे दोनों जातियों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिला।