कांग्रेस को छोड़ने की अटकलों के बीच पूर्व सांसद जितिन प्रसाद की पार्टी से डील हो गयी है। कांग्रेस ने जितिन प्रसाद से लखनऊ लोकसभा सीट या फिर धौरहरा से चुनाव लड़ने को कहा है। अगर प्रसाद चुनाव में हार भी जाते हैं तो कांग्रेस उन्हें राज्यसभा भेजेगी। इसके साथ ही उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें संगठन में बड़ा पद दिया जाएगा। 

असल में जितिन प्रसाद कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं और शुक्रवार को सुबह से ही अफवाहें शुरू हो गयी थी कि वह शाम को भाजपा का दामन थाम सकते हैं। पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए उन्हें बुलाया और शुक्रवार को ही उनकी पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाली महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मुलाकात हुई। वहीं शनिवार को उन्हें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुलाया। ताकि उनकी नाराजगी को दूर कर उनके पार्टी छोड़ने की अटकलों को खत्म किया जा सके। हालांकि कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने उन्हें दो विकल्प दिए।

पहले विकल्प के अनुसार जितिन प्रसाद  लखनऊ से चुनाव लड़े और अगर वह चुनाव हार जाते हैं तो उन्हे राज्यसभा में भेजा जाएगा। वहीं दूसरे विकल्प के अनुसार वह धौरहरा से चुनाव लड़े और अगर वह चुनाव हार जाते हैं तो उन्हें संगठन में बड़ा औहदा दिया जाएगा साथ ही पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजने पर विचार कर सकती है। कांग्रेस को उम्मीद है कि पार्टी लखनऊ में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी दूसरे नंबर पर आयी थी। हालांकि ये कहा जा रहा है कि जितिन प्रसाद ने पार्टी से लखीमपुर खीरी और सीतापुर से घोषित उम्मीदवार को बदलने को कहा है।

क्योंकि इन दोनों ही जगह से पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है। जितिन प्रसाद को लगता है कि इन दोनों सीटों पर वोटों का ध्रुवीकरण होगा और जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ सकता है। 2014 का लोकसभा चुनाव जितिन प्रसाद धौरहरा से हार गए थे। जितिन की मुख्य वजह उनके संसदीय क्षेत्र में हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण को लेकर है। हालांकि पार्टी का मानना है कि जितिन लखनऊ से राजनाथ सिंह खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे।