दिल्ली पुलिस जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के बहुचर्चित देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दो साल बाद चार्जशीट फाइल करने की तैयारी में है। सोशल मीडिया प्रोफाइलों की पड़ताल, वैज्ञानिक साक्ष्यों और बयानों के आधार पर यह चार्जशीट तैयार की गई है। 

सूत्रों के अनुसार, इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसमें जेएनयू की छात्र नेता शहला रशीद समेत 32 अन्य छात्रों के नाम हैं। 

मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फोरेंसिक रिपोर्ट मिलने में हुई देरी के चलते चार्जशीट दायर करने में समय लगा। दिल्ली पुलिस के पास इस मामले में ऐसे बहुत कम गवाह थे, जो तथ्यों को साबित कर सकते थे। 

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 100 पेज की चार्जशीट में तीन से ज्यादा फोरेंसिक रिपोर्ट, तकनीक साक्ष्य शामिल किए गए हैं। इसमें बयान और मैसेज का ब्यौरा है। इस सप्ताह कभी भी दिल्ली की अदालत में चार्जशीट फाइल की जा सकती है। 

दिल्ली पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई, स्पेशल सेल ने 10 से 15 ऐसे बाहरी छात्रों की सूची भी दी है, जिन्होंने जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए थे। 

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने 'माय नेशन' को बताया, 'देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों जैसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), जमिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने देश विरोधी नारेबाजी की। ये सभी लोग उस दिन जेएनयू परिसर में थे, जब यह घटना हुई थी।'

सूत्रों के मानें तो पुलिस ने शहला रशीद समेत 32 छात्रों के नाम चार्जशीट में दिए हैं। हालांकि शहला के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं हैं। 

नौ फरवरी 2016 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था, इसमें कुछ छात्र अपना चेहरा छिपाए देश विरोधी नारे लगा रहे थे। ये लोग संसद पर हमले के अपराध में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरू के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। जहां यह प्रदर्शन हो रहा था, वह जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी भी मौजूद थे। 

इस मामले में जेएनयू प्रशासन ने एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की थी। इस समिति का कहना था कि जेएनयू परिसर में बाहर से आए छात्रों ने देश विरोधी नारेबाजी की थी। 

कुछ दिन बात दिल्ली पुलिस ने कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में दिल्ली की एक अदालत ने सभी को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी। इस मामले में 11 फरवरी, 2016  को आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) के तहत पहला केस दर्ज किया गया था।