कर्नाटक और गोवा में चल रही सियासी उठापटक के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार में भी हलचल तेज है। राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार बचाने के लिए हर तरह के जतन कर रहे हैं। फिलहाल कमलनाथ डिनर डिप्लोमैसी के जरिए अपने विधायकों की काउंटिंग में लगे हैं। क्योंकि कमलनाथ को लगता है कि बीजेपी कभी राज्य में ऑपरेशन लोटस शुरू कर सकती है।

दो राज्यों में कांग्रेस की फूट का असर अब मध्य प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है। राज्य में हालांकि कमलनाथ सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। वह निर्दलीय और समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से चल रही है। हालांकि कमलनाथ दावा करते हैं कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन कमलनाथ इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि निर्दलीय विधायक और समर्थन दे रहे विधायक कभी भी कहीं जा सकते हैं।

लिहाजा अब कमलनाथ डिनर डिप्लोमैसी के जरिए विधायकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि उनकी दिक्कतों को दूर किया जा सके। हालांकि राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया धड़ा भी कमलनाथ के रवैये से नाराज है। फिलहाल कांग्रेस विधायकों की गतिविधि पर कमलनाथ की नजर है। सभी विधायकों पर नजर रखी जा रही है।

कमलनाथ सरकार की सूचना ईकाई विधायकों पर नजर रखे हुए हैं और उनकी पल पल की जानकारी ले रही है। कर्नाटक और गोवा प्रकरण के बाद कमलनाथ के एक करीबी नेता ने मुख्यमंत्री का इशारा मिलते ही एक डिनर का आयोजन किया गया। इसमें सरकार को समर्थन दे रहे अन्य दलों के विधायकों को भी बुलाया गया था। हालांकि इस डिनर में सभी विधायक पहुंचे थे। 

 

असल में कमलनाथ बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा के उस बयान से डरे हुए हैं। जिसमें उन्होंने कहा था कि गोवा और कर्नाटक के रास्ते मॉनसून मध्य प्रदेश आ रहा है और झमाझम बरसात हो सकती है। मिश्र के इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं। कमलनाथ को लगता है कि ये ऑपरेशन लोटस के राज्य में शुरू होने के संकेत हो सकते हैं। 

ये है एमपी एसेंबली का गणित
राज्य में कुल 230 विधायक हैं। इसमें से 114 विधायक कांग्रेस के हैं। जबकि बीजेपी के विधायकों की संख्या 108 है। जबकि उसका एक विधायक सांसद चुन लिया गया है। वहीं राज्य में समाजवादी पार्टी का एक विधायक है और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं। वहीं चार निर्दलीय विधायक सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इसमें से कमलनाथ ने एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाया है। इस आधार पर कमलनाथ सरकार के पास 121 विधायक हैं। जबकि सरकार के लिए 116 विधायको का समर्थन चाहिए।