याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि महिलाओं और बच्चों को दी गई छूट संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) और 21 का उल्लंघन है और मोटर वाहन अधिनियम अधिनियम के तहत दो-पहिया सवारों के लिए अनिवार्य किए गए हेलमेट के उपयोग के उद्देश्य को भी पूरा नहीं करता है। छात्र का कहना था कि केवल सिख समुदाय के सदस्यों को मोटर वाहन अधिनियम में एक प्रावधान के अनुसार हेलमेट पहनने से छूट दी गई है.
भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार हेलमेट को लेकर बैकफु पर आ गई। अब राज्य सरकार राज्य में दोपहिया वाहन चलाने वाली महिलाओं और बच्चों को दी गई छूट को वापस लेने जा रही है। राज्य सरकार ने महिलाओं और 12 साल तक के बच्चों को इसके लिए छूट थी। लेकिन अब हाई कोर्ट के दखल के बाद राज्य सरकार इस छूट को वापस लेने जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय को बताया कि वह जल्द ही दोपहिया वाहनों पर हेलमेट पहनने से 12 साल तक की महिलाओं और बच्चों को छूट वापस लेगी।
मध्यप्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रवीण दुबे ने जबलपुर में मप्र उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष कहा है कि राज्य सरकार जल्द ही इस छूट को वापस लेगी। असल में एक विधि छात्र हिमांशु दीक्षित ने राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी। छात्र का कहना था कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत दुपहिया वाहनों की सवारी करते समय हेलमेट पहनना जरूरी है जबकि राज् सरकार ने कुछ वर्गों को छूट दी है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि महिलाओं और बच्चों को दी गई छूट संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) और 21 का उल्लंघन है और मोटर वाहन अधिनियम अधिनियम के तहत दो-पहिया सवारों के लिए अनिवार्य किए गए हेलमेट के उपयोग के उद्देश्य को भी पूरा नहीं करता है। छात्र का कहना था कि केवल सिख समुदाय के सदस्यों को मोटर वाहन अधिनियम में एक प्रावधान के अनुसार हेलमेट पहनने से छूट दी गई है, लेकिन साथ ही इस प्रावधान में एक उल्लेख है कि राज्य सरकार अगर चाहे तो किसी भी समूह या समुदाय के लिए प्रावधान को शिथिल कर सकती है।
यही कारण है कि मप्र सरकार ने राज्य में महिलाओं और 12 वर्ष तक के बच्चों को छूट दी है, लेकिन सड़क दुर्घटनाएं पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर नहीं करती हैं। हालांकि मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल और न्यायमूर्ति वीके शुक्ला की पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख दो मार्च को तय की है।
Last Updated Feb 11, 2020, 6:43 AM IST