नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता और हाल में बहुतम साबित कर पाने के बाद इस्तीफा देने वाले कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर दबाव है कि वह कमलनाथ सरकार के दौरान लिए गए फैसलों की जांच करें। मंत्रियों का कहना है कि उस दौरान कई बड़े घोटाले हुए हैं और राज्य सरकार को उसकी जांच करानी चाहिए।

राज्य में शिवराज सिंह के बाद दूसरे नंबर के ताकतवार मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि जब नाथ सत्ता में थे तो कोई काम नहीं किया गया था और जो भी धन प्राप्त किया गया था उसे छिंदवाड़ा (मुख्यमंत्री के गृह शहर) में भेज दिया गया। उन्होंने दावा किया कि छिंदवाड़ा में भी कोई काम नहीं हुआ और जनता विकास से वंचित रही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य में वल्लभ भवन को बिचौलियों का एक केंद्र बना गया था और जिसमें भ्रष्टाचार चरम पर था और राज्य सरकार प्रतिदिन अधिकारियों की एक स्थानांतरण सूची जारी करती थी।

उन्होंने कहा मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कमलनाथ सरकार के पिछले छह महीनों में हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को देखने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया जाए और इसकी जांच की जाए। उन्होंने कहा कि जब पार्टी विपक्ष में थी तो तबादला पोस्टिंग में कांग्रेस सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने का भी वादा किया था।

गौरतलब है कि पिछले कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य में सरकार ने भाजपा नेताओं और राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वहीं राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ जमीन के पुराने मामलों को फिर से खोल दिया था।  हालांकि राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ खारिज हो चुके मामलों को फिर से खारिज कर दिया गया था।