नई दिल्ली. आज 26 जुलाई है। 21 साल पहले आज ही के दिन यानी 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करते हुए करगिल युद्ध (Kargil War 1999) में धूल चटा दी थी। तभी से हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। पाकिस्तान के धोखे के साथ शुरू हुआ ये युद्ध 60 दिन चला था। भारतीय जवानों के पराक्रम और बहादुरी के सामने पाकिस्तान ने आखिर में घुटने टेक ही दिए थे। हम आपको करगिल युद्ध की पूरी कहानी और सूरवीर जवानों के बलिदान के बारे में बता रहे हैं....

पाकिस्तानी सेना के करीब 5000 सैनिकों ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए 3 मई 1999 को करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। शुरुआत में इसे घुसपैठ माना जा रहा था। लेकिन बाद में भारतीय सेना को अहसास हुआ कि बड़े पैमाने पर हमले की साजिश रची जा रही है। इसके बाद भारत ने करीब 22 लाख सैनिकों को मोर्चे पर भेजा। मई से शुरू हुआ ये युद्ध 26 जुलाई तक चला।

चरवाहे ने दी सूचना
पाकिस्तानी सैनिक करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे। तभी उन्हें कश्मीरी चरवाहे ने देख लिया। इसकी सूचना चरवाहे ने भारतीय सेना को दी। जब भारतीय सेना पेट्रोलिंग करने गई तो पाकिस्तानी सैनिकों ने 5 जवानों की हत्या कर दी। 

मिग 27 वा मिग 29 से हुआ युद्ध का आगाज
भारतीय सेना ने कब्जे की जानकारी भारत की सरकार को दी। सेना को पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने का आदेश दिया गया। इस दौरान सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय वायुसेना के मिग 27 और मिग 29 विमान से पाकिस्तानी सैनिकों पर कार्रवाई के लिए इस्तेमाल किया गया। वायुसेना ने जिन स्थानों पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था, वहां बम बरसाए, लेकिन इस दौरान भारत का एक विमान भी गिर गया। इसमें चार जवान शहीद हो गए।

6 जून को भारत ने कसी कमर
6 जून को भारत ने पूरी तरह से पाकिस्तान के कब्जे को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया। 9 जून को भारतीय सेना ने बाल्टिक क्षेत्र की 2 चौकियों पर भी कब्जा कर लिया। इसके बाद द्रास और तोलोलिंग सेक्टर में पाकिस्तान को धूल चटाई। हमारी सेना ने महत्वपूर्ण चौकियों 5060, 5100 पर कब्जा किया। इसके बाद टाइगर हिल्स पर भारतीय तिरंगा फहरा। इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने भागना शुरू कर दिया। भारत ने ऑपरेशन विजय का ऐलान कर दिया।

करगिल में भारतीय तोपों से दागे गए 2.5 लाख गोले
1999 में हुए करगिल युद्ध में भारत की ओर से आर्टिलरी तोप से 2.5 लाख गोले दागे गए थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों से रोजाना करीब 5 हजार बम फायर किए गए थे। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहला ऐसा युद्ध था, जब किसी देश ने इतनी बमबारी की हो।

527 जवानों ने दी कुर्बानी
भारत के तिरंगे की आन बान और शान बचाने के लिए 527 जवानों ने अपने खून का आखिरी कतरा भी बहा दिया। इस युद्ध में भारत के 1363 जवान घायल हुए थे। वहीं, पाकिस्तान का दावा है कि उसके 453 सैनिक मारे गए। जबकि अन्य मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान के करीब 1000 से ज्यादा सैनिक मारे गए। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि पाकिस्तान के 700 सैनिक मारे गए थे। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी थी।