आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख और आतंकी मसूद अजहर अब वैश्विक आतंकी घोषित हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने  बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर ये साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की सरकार उसे संरक्षण दे रही है। असल में अभी तक मसूद को चीन की शह पर पाकिस्तान बचाता आया, लेकिन इस बार चीन ने भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। मसूद ने भारत में पांच बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया। जिसके कारण आज वह वैश्विक आतंकी घोषित हो चुका है। 

जानकारी के मुताबिक चीन ने करीब चार बार इसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के मामले में अड़ंगा लगाया जबकि पूरी दुनिया उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने में जुटी थी। अजहर मसूद ने भारत में बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया था, लेकिन फरवरी में पुलवामा में किए गए आतंकी हमला उसके लिए गले का फंदा बन गया है। हालांकि भारत में आतंकी हमलों में जैश या पाकिस्तान के ही आतंकी संगठनों का हाथ रहा है। 

एक सरकारी स्कूल के टीचर का बेटा और मदरसे में शिक्षा पाने वाले मसूद अजहर ने मार्च 2000 में जैश-ए-मोहम्मद नाम के आतंकवादी संगठन की नींव रखी। हालांकि पाकिस्तान इसे धार्मिक संगठन बताता था। भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए अजहर मसूद को भारत ने कश्मीर से गिरफ्तार किया था।

लेकिन पाकिस्तानी आतंवादियों ने 1999 में भारत के विमान को अगवा कर लिया, जिसके बाद भारत सरकार को यात्रियों को बचाने के लिए उसे छोड़ना पड़ा। भारत सरकार ने मसूद अजहर को कंधार ले जाकर छोड़ा, उस वक्त वहां पर तालिबान की सरकार थी। अजहर मसूद ने पाकिस्तान में जाकर भारत के खिलाफ अपने आतंकी अभियानों को और तेजी से बढ़ा दिया।

संसद भवन पर किया हमला

मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद संगठन बनाकर आतंकी हमलों को अंजाम देना शुरू किया। कश्मीर में तो वह इन घटनाओं को आसानी से अंजाम देता था। लेकिन 2001 में इसके संगठन जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर दिल्ली में संसद पर हमला किया। इस हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। आतंकी एक कार से आए थे और इसकी संख्या पांच थी।

गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमला

संसद पर हमले के करीब डेढ़ साल के बाद जैश ने वही रणनीति अपनायी और 24 सितंबर 2002 को लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर गुजरात के गांधीनगर में स्थिति अक्षरधाम मंदिर पर हमला किया। इसमें जैश के दो आतंकी शामिल थे।

दिल्‍ली में सीरियल ब्‍लास्‍ट किया 

जैश को देश में मौजूद स्लीपर सेल और आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठनों से मदद लगातार मिल रही थी। फिर जैश ने देश की राजधानी में 29 अक्‍टूबर 2005 को सीरियल बम ब्‍लास्‍ट कराए। इस घटना को भी जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर अंजाम दिया। जैश ने दिल्ली के पहाड़गंज मार्किट, सरोजिनी नगर मार्किट और गोविंदपुरी में बम ब्लास्ट कराए और इसमें 62 लोगों की जान गयी और करीब 210 घायल हुए।

पठानकोट एयरबेस पर हमला

जैश की घटनाएं देश के अन्य भागों में तो कम हुई। लेकिन जम्मू कश्मीर ने ये घटनाएं जारी रही। जैश के आतंकी सेना और सुरक्षा बलों पर अकसर हमले करते थे। जैश ने फिर अपने को सक्रिय करते हुए 2 जनवरी 2016 में पठानकोट में एयरफोर्स के स्टेशन पर हमला किया और इस हमले में भारत ने अपने सात जांबाज सैनिकों को खोया।

पुलवामा में आतंकी हमला

जैश ने फिर 14 फरवरी के दोपहर में पुलवामा में आतंकी घटना को अंजाम दिया। इसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए। ये एक आत्मघाती हमला था। जिसमें एक कार चालक ने कार में आरडीएक्स भर कर सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया। इस घटना के बाद भारत ने नई रणनीति तैयार की और चारों तरफ से जैश और उसके आका पाकिस्तान को घेरना शुरू किया।