नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में 6 नवंबर से रोजाना राम मंदिर मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह तय कर दिया है। इसके बाद यह काफी हद तक तय हो गया है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह तक राम मंदिर पर कोई न कोई फैसला सुनाया जा सकता है। 

वर्तमान मुख्य न्यायाधीश का नवंबर दूसरे हफ्ते तक है कार्यकाल
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का कार्यकाल 17 नवंबर तक है। उनका आखिरी कार्यदिवस 16 नवंबर है। इसलिए इस बार की मजबूत संभावना है कि वह रिटायर होने से पहले इस ऐतिहासिक मामले में अपना फैसला सुना दें। क्योंकि ऐसा हुआ तो न्यायिक इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। 

नवंबर तक फैसला नहीं आया तो मुश्किल
नवंबर के दूसरे हफ्ते तक फैसला आने की संभावना इसलिए भी जताई जा रही है। क्योंकि अगर तब तक सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस मसले पर फैसला नहीं सुनाती है, तो मामले की कानूनी पेचीदगियां बढ़ जाएंगी। क्योंकि राम मंदिर पर सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर तक रिटायर हो जाएंगे। तब तक सुनवाई पूरी नहीं हुई तो फिर से नई बेंच का गठन करना होगा। जो कि नए सिरे से सुनवाई करेगी। 
ऐसे में अभी तक की की हुई सारी कवायद बेकार हो जाएगी। इस स्थिति को टालने के लिए भी इस बात की संभावना जताई जा रही है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह तक राम मंदिर पर फैसला आ जाएगा। 

नवंबर तक फैसला सुनाने के लिए अदालत के पास है पर्याप्त समय
दरअसल अगस्त से नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट के वर्किंग कैलेन्डर के मुताबिक उसके पास पर्याप्त समय है। उच्चतम न्यायालय के कैलेंडर के अनुसार 6 अगस्त से लेकर 17 नवंबर तक कोर्ट के पास कुल 102 दिन हैं। इनमें से 16 छुट्टियां हैं, 29 शनिवार रविवार हैं, 27 सोमवार और शुक्रवार तथा 30 मंगल, बुध व गुरुवार हैं। यानी कोर्ट राम मंदिर मामले पर पूरे 57 दिनों तक लगातार सुनवाई कर सकती है। 
इतना वक्त राम मंदिर पर फैसला सुनाने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। 
इसके अलावा अदालत तय कार्यक्रम के मुताबिक यदि नियमित दिनों यानी मंगलवार से गुरुवार तीन दिन बैठती है तो उसके पास सुनवाई के लिए 30 दिन होंगे। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार और शुक्रवार नए मामलों की सुनवाई के लिए तय हैं। इन 30 दिनों में ही पीठ को इस मामले की सुनवाई करने और फैसला लिखने का काम करना है।

पूरे समय भी सुनवाई कर सकती है अदालत
राम मंदिर मामले की अहमियत को देखते हुए अदालत सोमवार से शुक्रवार के सभी कार्यदिवसों में भी इस मामले की सुनवाई कर सकती है। ऐसे में अदालत के पास सुनवाई के लिए पूरे 57 दिन होंगे। 
लेकिन यह फैसला मुख्य न्यायाधीश के ही उपर है। यह उन्हें ही तय करना है कि वह 30 दिन तक सुनवाई करते हैं या फिर 57 दिनों तक। क्योंकि अदालती कार्यदिवस(रोस्टर) की जिम्मेदारी उनके हाथ में ही होती है।