कोलकाता/नई दिल्ली। सारदा और रोज वैली चिट फंड घोटाले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप है कि उनसे पूछताछ की कोशिश करने वाले सीबीआई के अधिकारियों को राज्य पुलिस द्वारा काफी परेशान किया गया। राजीव कुमार इन घोटालों की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख थे। उन पर जांच को दिशा से भटकाने का आरोप है। पिछले साल बंगाल पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की। केंद्रीय एजेंसी की जांच से यह खुलासा हुआ है। 

सीबीआई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 'बंगाल पुलिस की ओर से सीबीआई की जांच टीम और निगरानी करने वाले अधिकारियों पर दबाव बनाने के लगातार प्रयास किए गए। उन्हें ऐसे मामलों में भी पेश होने को कहा गया, जो उनसे संबद्ध नहीं थे।'

कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज 'माय नेशन' के पास हैं। इनमें बताया गया है कि जब राजीव कुमार कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे तो किस तरह सीबीआई के जांच अधिकारी को झूठे केस में फंसाने के प्रयास किए गए। सीबीआई के दस्तावेज के अनुसार, जांच अधिकारी ने 'सीआरपीसी की धारा 160 के तहत पांच दिसंबर, 2018' को माणिक मजूमदार को 13 दिसंबर, 2018 को एजेंसी के सामने पेश होने का नोटिस जारी किया था। वह 'जागो बांग्ला' के लिए खोले गए बैंक खाते का आधिकारिक हस्ताक्षरकर्ता है।

इसके जवाब में 12 दिसंबर, 2018 को भेजे पत्र में मजूमदार ने कहा कि उसका स्वास्थ्य सही नहीं है इसलिए वह जांच के लिए पेश नहीं हो सकता। इसके बाद जांच अधिकारी उससे पूछताछ करने उसके घर गए थे।
 
जांच अधिकारी के मजूमदार के घर जाने के दो दिन बाद इस साल तीन फरवरी को उसे कोलकाता पुलिस के ट्रैफिक विभाग के डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस से नोटिस मिला यातायात कानून तोड़ने का नोटिस मिला है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 'जांच अधिकारी राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए वाहन में सफर करते हैं। यातायात विभाग के डीसीपी की ओर से भेजे गए नोटिस यह गलत कहा गया है कि उनकी जांच से सामने आया है कि यह वाहन कोलकाता अथवा राज्य पुलिस का नहीं है।' देश की शीर्ष जांच एजेंसी का कहना है कि 'वाहन संख्या WB 26R 4785 को बिधान नगर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से उपलब्ध कराया गया है।'