कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन सरकार पर छाए संकट के बादल आगामी 18 जुलाई को छंट सकते हैं। हालांकि सरकार बनेगी या फिर गिरेगी ये विधानसभा में 18 जुलाई को होने वाले शक्ति परीक्षण के बाद ही पता चलेगा। हालांकि इसी बीच सबकी नजर कल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लगी है। जिसमें दस विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होना है।

फिलहाल कुमारस्वामी सरकार पर सियासी संकट का पटाक्षेप 18 जुलाई को विधानसभा में हो सकता है। क्योंकि इसी दिन कुमारस्वामी सरकार के व‍िश्‍वासमत पर व‍िधानसभा में चर्चा होगी। सरकार को अभी सरकार बनाने के लिए कितने विधायकों की जरूरत होगी ये मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होगा। क्योंकि अभी दस विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपने इस्तीफे के लेकर अपील की है।

वहीं शनिवार को पांच और विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दस विधायकों के साथ ही उनकी सुनवाई भी करने की अपील की थी। लिहाजा अब सबकी नजर कल होने वाले फैसले पर लगी है। फिलहाल अभी तक जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा, जिन्हें राज्य में सियासी संकट के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे, अब वही सिद्धारमैया ने ऐलान किया है कि 18 जुलाई को विधानसभा में विश्‍वासमत पर चर्चा होगी।

सिद्धारमैया का कहना है कि सीएम एचडी कुमारस्‍वामी ने विधानसभा में विश्‍वास मत प्रस्‍ताव रखा था और इसके लिए 18 जुलाई का समय तय किया गया है।  इसके जरिए कुमारस्वामी सरकार को और ज्यादा समय मिल गया है। ताकि वह बागी विधायकों को मना सके। हालांकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने प्रदर्शन करने का फैसला किया है। क्योंकि पार्टी का कहना है कि विश्वासमत तुरंत होना चाहिए। क्योंकि  कुमारस्वामी सरकार अपना समर्थन खो चुकी है और वह इस मामले को लटकाए रखना चाहती है।

लिहाजा भाजपा राज्‍य विधानसभा के मॉनसून सत्र में हंगामा कर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा को भी डर है कि जिस तरह ते बागी विधायक एमटीबी नागराज ने  यूटर्न लिया है कहीं और विधायक भी पलटी न मार लें। फिलहाल कांग्रेस और जेडीएस विधायक और पूर्व मंत्री आर रामलिंगा रेड्डी को मनाने में लगे हैं। हालांकि ये भी खबर आ रही है कि रेड्डी की विधायक बेटी सौम्‍या और एक अन्‍य कांग्रेस विधायक अंजलि निंबाल्‍कर भी विधानसभा से इस्तीफा दे सकते हैं। 

ये है विधानसभा में राजनैतिक दलों की वर्तमान स्थिति 

राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के पास 116 विधायक हैं जिसमें से कांग्रेस के 78 और जेडीएस के 37 और एक बीएसपी का विधायक है। वहीं दो निर्दलीय विधायक भी अभी तक सरकार को समर्थन दे रहे थे। इन दो विधायकों ने भी  सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। जबकि सदन में भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है।

राज्य में 224 विधायकों का सदन है। वहीं अभी तक 16 विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं अगर 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर होता है तो सरकार के पास 100 विधायक बचेंगे और दो निर्दलीय  विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद गठबंधन सरकार के पास 98 विधायकों का ही समर्थन होगा।