कर्नाटक में पिछले दो हफ्तों से कुमारस्वामी सरकार पर मंडराया सियासी खतरा आज समाप्त हो सकता है। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को आज सदन में बहुमत साबित करना है। लेकिन इसी खबर आ रही है कि गठबंधन सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री का पद त्याग करने को तैयार है। यानी कुमारस्वामी राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी कांग्रेस को देने को तैयार हैं। हालांकि इसके लिए कांग्रेस की तऱफ से तीन नामों पर चर्चा चल रही है और इसमें डीके शिवकुमार का नाम सबसे आगे है।

विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले आज सुबह ही कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं की बैठक हुई है। इससे पहले कांग्रेस के नेताओं की एक अलग बैठक भी हुई। जिसमें कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केन्द्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल मौजूद थे। इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस की नेताओं की बैठक हुई।

जिसमें सरकार बचाने के लिए अन्य विकल्पों पर चर्चा हुई। असल में पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया राज्य की कुमारस्वामी सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। क्योंकि जितने भी विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दिया है वह सभी उन्हीं के समर्थक बताए जाते हैं।

लिहाजा अब सरकार बचाने को कुमारस्वामी किसी कांग्रेस के नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। क्योंकि कुमारस्वामी और कांग्रेस को अच्छी तरह से मालूम है कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बन जाएगी तो पार्टी के अन्य विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं।

लिहाजा पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए कुमारस्वामी इस्तीफा देकर ये कुर्सी कांग्रेस को सौंप सकते हैं। फिलहाल इस दौड़ में डीके शिवकुमार का नाम आगे चल रहा है। शिवकुमार के अलावा सिद्धारमैया और जी. परमेश्वर का नाम भी चर्चा में है। वह कुमारस्वामी के करीबी भी हैं और राज्य में सरकार और कांग्रेस के संकट मोचक माने जाते हैं।

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार का दावा है कि कुमारस्वामी सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री के पद का त्याग करने को तैयार है। उनके मुताबिक इसके लिए कुमारस्वामी ने कांग्रेस हाईकमान को बता दिया है। फिलहाल इस मामले में ये फैसला सदन में वोटिंग से ठीक पहले लिया जा सकता है।

असल में कांग्रेस और जेडीएस ये दांव इसलिए भी चल रही है ताकि बागी विधायक अपना रूख बदल दें। लेकिन बागी विधायकों ने अभी इस विकल्प पर विचार नहीं किया है। क्योंकि वह अगर इस फैसले के समर्थन में आते हैं तो उनकी किरकिरी होगी। हालांकि कांग्रेस और जेडीएस के प्रबंधक विधायकों के संपर्क में हैं और उनसे इस विकल्प पर विचार करने को कहा गया है।