बिहार के नेता उपेन्द्र कुशवाहा अब आधिकारिक रुप से एनडीए का दामन छोड़ चुके हैं। खबर है कि वह कांग्रेस और लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन में शामिल होंगे। 

इससे पहले उपेन्द्र कुशवाहा ने शीतकालीन सत्र से पहले एनडीए की आज होने वाली बैठक में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था। 

दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक ही वोट बैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं। साल 2014 में जब नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं थे। तब उपेन्द्र कुशवाहा बिहार में अपनी जाति के वोटों के अकेले ठेकेदार थे। 

लेकिन जबसे नीतीश कुमार भाजपा के साथ जुलाई 2017 में आये, तबसे ही कुशवाहा खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे थे। यह इसलिए हुआ क्योंकि जब बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण किया गया तो भाजपा को पता चला कि कुशवाहा समाज का 70 प्रतिशत वोट नीतीश कुमार के नाम पर जेडीयू-आरजेडी गठबंधन को प्राप्त हुआ। एनडीए को कुशवाहा समाज ने सिर्फ उन्हीं सीटों पर वोट दिया जहां इस जाति के अपने उम्मीदवार थे। 

इसके बाद से नीतीश कुमार की तुलना में उपेन्द्र कुशवाहा का कद एनडीए में लगातार घटता चला गया। 

उपेन्द्र कुशवाहा इस बात से भी नाराज थे कि उनकी आरएलएसपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें दी जा रही थी। बिहार की 40 सीटों के लिए भाजपा और जेडीयू के बीच बराबर बराबर लड़ने का समझौता हो चुका है। 

उपेन्द्र कुशवाहा पिछले कुछ समय से लगातार भाजपा और जेडीयू के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। ऐसे में सभी को लग रहा था कि वह जल्दी ही एनडीए से पीछा छुड़ा लेंगे। यह बात आज सच हो गई।