नई दिल्ली/ पटना। लालू प्रसाद यादव की पार्टी अब बिखराव की बढ़ रही है। लालू की राजनीतिक विरासत को कौन संभालेगा इसको लेकर पार्टी में बिखराव होना तय माना जा रहा है। क्योंकि हर कोई अपने स्तर से दावेदारी कर रहा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बावजूद तेजस्वी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की जिद पकड़े हुए हैं जबकि उन्हें अगले विधानसभा के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जा चुका है।

वहीं तेजप्रताव फिर बागी रूख अपनाए हुए हैं और खुद को लालू प्रसाद यादव का उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं। लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि बिहार में भी राजद का वो हाल न हो जो यूपी में मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी का हुआ है।

फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में है और वह दोषी घोषित होने के बाद सजा काट रहे हैं। हालांकि अभी लालू रांची की रिम्स में भर्ती हैं। लेकिन अब वह वहां से अपनी गैरमौजूदगी में पटना में पार्टी का बिखराव देख रहे हैं। लालू के परिवार में चार लोग अभी पूरी तरह से सक्रिय राजनीति में हैं।

इसमें राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजस्वी और तेजप्रताप प्रताप शामिल हैं। लेकिन परिवार की पार्टी होने के बावजूद अब पार्टी में ही बिखराव देखने को मिल रहा है। तेजस्वी यादव ने पार्टी से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखी है। वह न तो पार्टी कार्यालय में जा रहे हैं और न ही पार्टी के सदस्यता अभियान में उन्होंने हिस्सा लिया। जिसके कारण पार्टी के विधायकों और नेताओं में नाराजगी है। 

हद तो तब हो गई जब दो दिन पहले राबड़ी ने विधायकों,जिला अध्यक्षों और पार्टी के नेताओं की बैठक अपने आवास पर बुलाई। लेकिन इसमें न तो तेजस्वी आए और न ही तेज प्रताप और न ही मीसा भारती ने हिस्सा लिया। इस बैठक में पार्टी के नेताओं ने तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

क्योंकि वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा है। माना जा रहा है कि तेजस्वी पार्टी में अपनी ताकत और बढ़ाना चाहते हैं और पूरी कंट्रोलिंग के साथ कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर नियुक्त होना चाहते हैं। वही तेज प्रताप इसके खिलाफ है। वह एक व्यक्ति और एक पद की मांग कर रहे हैं।

टूट की तरफ बढ़ रही है पार्टी

राजद में देखें तो नेतृत्व की कमी के कारण नेताओं ने पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया है। दो दिन ही पहले कांग्रेस के विधायक मुन्ना तिवारी ने दावा किया था कि राजद और कांग्रेस के कई विधायक जदयू और भाजपा के संपर्क में हैं। जो इस इस बात की पुष्टि भी करता है। क्योंकि पिछले महीने ही राजद के दिग्गज नेता अली अजहर फातमी ने राजद से किनारा कर जदयू का दामन थामा है। जिससे पार्टी में टूट का खतरा और बढ़ गया है।

दिग्गजों में भी बढ़ रही तेजस्वी को लेकर नाराजगी

दो दिन पहले पार्टी की बैठक मे तेजस्वी और अन्य नेताओं की गैरमौजूदगी पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने पटना में कहा कि तेजस्वी विपक्षी दल के नेता हैं और हर कोई उम्मीद करता है कि वह अहम बैठकों में मौजूद रहेंगे। लेकिन कौन उनकी सुनता है। जबकि रघुवंश प्रसाद सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि 'कहां हैं, जब शपथ ग्रहण का आग्रह होगा तब न प्रकट होंगे।' जबकि पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर इन्हीं दो नेताओं ने तेजस्वी को मनाया था और अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया था।

मीसा भारती और तेज प्रताप भी हैं नाराज

असल में लोकसभा चुनाव में मीसा भारती पाटलीपुत्र से चुनाव हार गई हैं। जिसको लेकर वो नाराज हैं। मीसा देर टिकट दिए जाने और तेज प्रताप के किसी करीबी को टिकट न दिए जाने से नाराज हैं। क्योंकि टिकट बंटवारे में तेजस्वी ने परिवार के किसी भी  व्यकित को तवज्जो नहीं दी। जिसके बाद तेज प्रताप पार्टी से नाराज हुए और पार्टी को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा। यही नहीं घर के भीतर सभी लोगों ने पार्टी की हार के लिए तेजस्वी के घमंड को जिम्मेदार बताया है।

पहले ही लालू यादव परिवार में सत्ता का बंटवारा हो चुका है

लालू प्रसाद यादव ने जेल जाने से पहले राजद की सत्ता को परिवार के लोगों में बांट दिया था। जिसके मुताबिक दिल्ली यानी लोकसभा और राज्यसभा में मीसा भारती का दखल रहेगा। जबकि बिहार को दोनों भाई तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव संभालेंगे। इसके लिए राबड़ी देवी दोनों की मदद करेंगी। लेकिन लोकसभा चुनाव में तेजस्वी की पूरी चली जबकि मीसा को तवज्जो नहीं दी गई। वहीं बिहार में तेजस्वी ने तेज प्रताप को बड़ा भाई होने के बावजूद भाव नहीं दिया। जिसके कारण तेज प्रताप ने बागी तेवर दिखाए।