राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल में हैं। लेकिन बिहार में उनके बेटे और पत्नी ने पूरी राजनीति संभाल ली है। लालू की पत्नी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सीएम नीतीश कुमार को अपने साथ आने का निमंत्रण दिया है।
पटना- बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को अच्छी तरह मालूम है कि नीतीश कुमार इन दिनों बीजेपी से खफा चल रहे हैं। पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर दोनों के रिश्तों में खटास आ गई है।
ऐसे में राबड़ी देवी ने भी अपना राजनीतिक दांव चल दिया है। राबड़ी देवी ने बयान दिया है कि उन्हें नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के महागठबंधन में आने पर कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर जेडीयू महागठबंधन में आने की पहल करता है तो महागठबंधन इस पर विचार करेगा।
राबड़ी देवी एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए गई हुई थीं। वहां पत्रकारों ने उनसे नीतीश की बीजेपी से नाराजगी से संबंधित सवाल पूछा। जिसके जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की पहल करते हैं तो महागठबंधन इस पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि नीतीश के महागठबंधन में आने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है'।
राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता इन दिनों नीतीश कुमार को अपने खेमें में लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी बिना नीतीश कुमार का नाम लिए कहा कि "नीति यही कहती है कि बीजेपी को पछाड़ने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए। इसमें कहीं छंटाऊं और चुनने-बिनने की बात नहीं होनी चाहिए।"
उनका कहना था कि 'अगर साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में यदि बीजेपी को हराना है तो सभी गैर भाजपा दलों को एक साथ आना चाहिए। इन सभी नॉन-बीजेपी पार्टियों में जेडीयू भी शामिल है।
हालांकि रघुवंश प्रसाद ने नीतीश पर यह कहते हुए व्यंग्य भी किया कि 'नीतीश कुमार कब किसका साथ छोड़ दें और फिर हाथ मिला लें यह कोई नहीं कह सकता'।
खास बात यह है कि नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी को देखते हुए बिहार में कई विपक्षी नेता उनसे मुलाकात कर रहे हैं। कल ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी नीतीश कुमार से मुलाकात की थी।
जिसके बाद आज रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश की पार्टी को अपने साथ आने का खुला प्रस्ताव दे दिया। उन्होंने लोकसभा चुनाव में आरजेडी की हार के कारण बताते हुए कहा कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा सही तरीके से नहीं हुआ था। कमजोर उम्मीदवार होने के बावजूद भी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया। टिकट बंटवारे से लेकर नेतृत्व तक के लिए कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं था।
रघुवंश प्रसाद ने यह भी कहा कि आरजेडी को सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध करना भी भारी पड़ा।
बिहार में आरजेडी को मात्र एक किशनगंज की सीट हासिल हुई है। खुद रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली सीट से चुनाव हार गए हैं। वहीं एनडीए गठबंधन में शामिल बीजेपी और जेडीयू ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीत लीं। इसमें से 16 सीटें जेडीयू को और बीजेपी को 17 सीटें मिली हैं। जबकि छह सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को हासिल हुई है।
साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसमें आरजेडी 80 सीटों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
Last Updated Jun 4, 2019, 7:22 PM IST