जयपुर।  राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कभी कांग्रेस के बागी रहे सचिन पायलट को लगातार झटके दे रहे हैं। गहलोत पायलट की राज्य में सियासी जड़ों को खत्म करने में लगे हैं। लिहाजा उन्होंने जिलों के प्रभारियों को बदल दिया है और पायलट के गढ़ माने जाने वाले जिलों में उनके विरोधियों और अपने करीबियों को नियुक्त किया है। ताकि इसके जरिए स्थानीय स्तर पर पायलट की पकड़ को कमजोर किया जा सके।

राज्य में चले सियासी ड्रामे के बाद राज्य में अशोक गहलोत सरकार बच गई है और गहलोत और भी ज्यादा मजबूती के साथ उभरे हैं। राज्य में एक बार फिर सत्ता पर काबिज गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। महज डेढ़ साल बाद सीएम गहलोत सने जिलों का प्रभार बदल दिया है और अपने  करीबी मंत्रियों को इसमें शामिल किया है। राज्य सरकार के 22 मंत्रियों को जिलों की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं पहले जिन जिलों का प्रभार पायलट गुट के मंत्रियों के पास था, वहीं अपने करीबी मंत्रियों को नियुक्त किया। इसके साथ ही पायलट के पकड़े वाले जिलों में पायलट के विरोधी मंत्रियों को जिम्मा दिया गया है।

सीएम गहलोत ने विश्वेन्द्र सिंह के भरतपुर में सरकारी मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी को प्रभारी बनाया है। जबकि पायलट के गढ़ टोंक में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को जिम्मा दिया है। रघु शर्मा कभी पायलट के करीबी माने जाते थे। लेकिन बाद में उन्होंने गहलोत खेमे  में जाना बेहतर समझा। राज्य में 15 मंत्रियों के प्रभार बदले गए हैं। बताया जा रहा है राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। लिहाजा गहलोत सरकार की ओर से जिला प्रभार देने के बाद सभी मंत्री और सचेतकों की ये अग्निपरीक्षा होगी।

इसके साथ ही पायलट समर्थक पूर्व मंत्रियों में पकड़ मजबूत करने के लिए गहलोत खेमे के मंत्रियों को वहीं पर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही करौली की जिम्मेदारी खेल मंत्री अशोक चांदना और बारां -झालावाड़ की जिम्मेदारी श्रम मंत्री टीकाराम जूली को दी गई है जबकि शांति धारीवाल को राजधानी जयपुर और ममता भूपेश को अलवर का ही प्रभार दिया गया है। जबकि गहलोत ने अपने गृह जिले जोधपुर में महेन्द्र चौधरी को जिम्मेदारी दी गई है।