नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन के बीच चल रहा कानूनी विवाद को लेकर अपनी फैसला सुना दिया है। इस फैसले के तहत मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया गया है। जबकि इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने मंदिर पर राज्य सरकार का अधिकार बताया था। फिलहाल ये राज्य की विजयन सरकार के लिए बड़ा झटका है।  

जानकारी के मुताबिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिर माना जाता है। यही नहीं इस मंदिर के साथ गहरे रहस्य भी छिपे हुए हैं। अभी तक मंदिर का सातवां दरवाजा हर किसी के लिए एक पहेली बना हुआ है औऱ ये नहीं खुला है। बताया जाता है इस दरवाजे के अंदर तहखाने में अरबों रुपये के सोने चांदी के जेवरात हैं। लेकिन आज तक  मंदिर के इस दरवाजे को कोई खोल नहीं सका है। जबकि ये दरवाजा लकड़ी का बना हुआ है। यही नहीं इस दरवाजे को खोलने या बंद करने के लिए किसी तरह का कोई सांकल जंजीर या ताला नहीं है। लेकिन उसके बावजूद इसे अभी तक नहीं खोला जा सका है।  दरवाजा आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। 

क्या है मंदिर का इतिहास

हालांकि अभी तक इसकी स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं है कि मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति की स्थापना कब और किसने की लेकिन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये 5000 साल पहले स्थापित किया गया था और इसी दिन कलियुग का पहला दिन था।

छह दरवाजे खोले गए हैं और सातवां है बंद

बताया जाता है कि मंदिर में सात गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने के लिए एक दरवाजा है। साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में छह तहखाने खोले गए। इन तहखानों से कुल 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण मिले और इन आभूषकों को मंदिर के ट्रस्ट के पास रखवा दिया गया था। लेकिन सातवां दरवाजा अभी तक नहीं खुल सका है।

लेकिन जब सातवें दरवाजे को खोलने की बारी आई तो दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखाई दी और इसके बाद दरवाजे को खोलने की प्रक्रिया को रोक दिया गया था। इसके लिए कई पुरोहितों ने कई कारण बताए।  पुरोहितों के मुताबिक दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं और दरवाजा खोला गया तो प्रलय आ सकता है।