भोपाल। मध्यप्रदेश में किसी को लैपटॉप चाहिए तो किसी को अपने इलाके में कोठी तो किसी अपने लिए गाड़ी खरीदने के लिए कर्ज चाहिए। यही नहीं विधायक सरकारी कामकाज निपटाने के लिए एक नहीं बल्कि दो सहायक चाहते हैं। फिलहाल विधायकों की डिमांड को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ का सिर चकरा गया है। क्योंकि राज्य सरकार का खज़ाना खाली है लेकिन विधायकों की डिमांड है कि पूरी नहीं हो रही है।

राज्य के विधायक अब अपनी अपनी डिमांड कमलनाथ से कर रहे हैं। कुछ विधायकों को अपने इलाके में भी बंगले, दफ्तर जैसी सुविधाएं चाहिए तो किसी को गाड़ी खरीदने के लिए सरकार कर्ज चाहिए। फिलहाल राज्य सरकार विधायकों की इन मांगों को कब पूरा करेगी ये तो बाद में पता चलेगा।

लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें इन मांगों से बढ़ गई हैं। क्योंकि सरकार के पैसा नहीं है। लिहाजा विधायकों की मांग कैसे पूरी की जाएगी राज्य सरकार के पास ये बड़ी समस्या है। राज्य में कांग्रेस की सरकार निर्दलीय और बसपा और सपा विधायकों के समर्थन से चल रही है। कांग्रेस के ही कई विधायक मंत्री न बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं।

फिलहाल राज्य की 14 वीं विधानसभा में विधायकों को 35,000 का लैपटॉप दिए जाने का फैसला किया था लेकिन अब कांग्रेस सरकार ने इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया। राज्य विधानसभा के 230 सदस्यों को लैपटॉप के लिए 50 हजार रुपया दिया जाएगा। जबकि जिन विधायकों को पहले मिल चुका है, उन्हें भी दोबारा दिया जाएगा। 

राज्य के विधायक चाहते हैं कि उन्हें अपने क्षेत्र में बंगला, दफ्तर जैसी सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। इसके साथ ही दो करोड़ की विधायक निधि को दोगुना किया जाना चाहिए। यही नहीं विधायक सांसदों की तरह रेलवे कार्ड के साथ साथ सरकारी कामकाज के लिए दो निजी सहायकों की मांग कर रहे हैं।

क्या मिलता है विधायकों को

मध्यप्रदेश में विधायकों को हर महीने 30,000 रुपये का वेतन, 35,000 निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10,000 टेलीफोन भत्ता, 10,000 रुपये डाक भत्ता, 15,000 रुपये कंप्यूटर ऑपरेटर भत्ता और 10,000 रुपये चिकित्सा भत्ता मिलता है। ये कुल मिलाकर 1,10,000 रुपये प्रतिमाह आता है।