नई दिल्ली। ड्रैगन यानी चीन हमेशा ही अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ चीन पाकिस्तान को मदद दे रहा है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान को नसीहत भी देता है। ड्रैगन की ये चालबाजी सालों से चल रही है। लिहाजा भारत सरकार को इससे चौकन्ना रहने की जरूरत है। अब चीन पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने तैयारी में है। ताकि आर्थिक तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान को वह भारत के बराबर खड़ा कर सके। 

फिलहाल चीन की पूरी कोशिश है कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकाला जाए और उसे ब्लैक लिस्ट होने से बचाया जाए। इस महीने चीन, मलेशिया और तुर्की के कारण पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में जाने से बच गया है। जबकि अगर ये तीन देश पाकिस्तान का साथ नहीं देते तो पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में होता। क्योंकि एफएटीएफ के एपीजी ग्रुप ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाला था। लेकिन ड्रैदन की चाल की वजह से पाकिस्तान बच गया।

वहीं अब पाकिस्तान के पास फरवरी तक का समय है। लिहाजा अब चीन एक बार फिर पाकिस्तान को बचाने की तैयारी में है। लिहाजा उसमें भारत पर निशाना साधते हुए कहा है कि कुछ सदस्य देश अपने एजेंडा लागू कराने के लिए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालना चाहते हैं और इसके जरिए राजनीतिकरण कर रहे हैं। हालांकि एफएटीएफ के 28 देशों में इन तीन देशों को छोड़कर किसी ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। चीन का ये बयान काफी अहम है। क्योंकि चीन कारोबारी तौर पर पाकिस्तान को मदद दे रहा है। या यूं कहें कि पाकिस्तान को अपना गुलाम बना रहा है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि पाकिस्तान सबसे ज्यादा आयात चीन से कर रहा है। यही नहीं चीन पाकिस्तान के आर्थिक संसाधनों में जमकर निवेश कर रहा है।

ड्रैगन की चाल में फंस रहा पाकिस्तान

अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में आ जाता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाए पैसा नहीं देगी। जिसके कारण चीन की पाकिस्तान में चल रही परियोजनाओं पर असर होगा। इसका सीधा नुकसान चीन होगा। लिहाजा चीन पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में जाने से बचा रहा है। वहीं पाकिस्तान को लग रहा है कि चीन की उसकी मदद कर रहा है। वहीं हाल ही में चीन ने पाकिस्तान से निर्यात किए जाने वाले 90 फीसदी उत्पादों पर शून्य शुल्क वसूलने का एलान किया है। जिसके कारण पाकिस्तान को उत्पाद सस्ते मिलेंगे और धीरे धीर चीन इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ाएगा। वहीं पाकिस्तान ने चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाले 60 अरब डॉलर के ग्वादर बंदरगाह और इसके फ्री जोन पर चीनी ऑपरेटर्स को 23 साल के लिए सेल्स टैक्स और कस्टम ड्यूटी में छूट दी है।