असल में सभी सामाजिक संगठनों ने अयोध्या के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही है। यही नहीं संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कह दिया है कि इस फैसले को स्वागत किया जाना चाहिए। पिछले कई दिनों से संघ मुस्लिम नेताओं के साथ मिलकर इस मुद्दे पर बैठक कर रहा है। क्योंकि फैसला आने के बाद विरोध प्रदर्शन किए जाने की आशंका है।
लखनऊ। राममंदिर विवादित बाबरी मस्जिद मामले में अगले एक सप्ताह के दौरान फैसला आ सकता है। क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। लिहाजा उनके रिटारमेंट से पहले ही इस पर फैसला आ सकता है। लिहाजा माहौल को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का स्थगित किया है। यही नहीं विहिप ने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।
असल में सभी सामाजिक संगठनों ने अयोध्या के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही है। यही नहीं संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कह दिया है कि इस फैसले को स्वागत किया जाना चाहिए। पिछले कई दिनों से संघ मुस्लिम नेताओं के साथ मिलकर इस मुद्दे पर बैठक कर रहा है। क्योंकि फैसला आने के बाद विरोध प्रदर्शन किए जाने की आशंका है।
लिहाजा संघ का कहना है कि दोनों पक्षों को इस फैसले को स्वीकार करना चाहिए। वहीं राममंदिर के लिए कारसेवकपुरम में विहिप द्वारा कई सालों से पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए विहिप ने इस कार्य को रोक दिया है। यही नहीं विहिप ने सभी धार्मिक कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया है। पिछले दिनों दिवाली के मौके पर विहिप ने दिए जलाने की घोषणा की थी लेकिन बाद में इस कार्यक्रम को टाल दिया गया है।
विहिप ने 1990 के बाद से पहली बार पत्थरों को तराशने का काम बंद किया गया है। ये सब कोर्ट के फैसले को देखते हुए किया गया है। उधर विहिप का कहना है कि ये राम जन्मभूमि न्यास तय करेगा कि पत्थरों को तराशने का काम दोबारा कब शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुना सकता है। इस मामले में पांच न्यायाधीशों की पीठ फैसला करेगी और जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं और वह 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
Last Updated Nov 7, 2019, 7:06 PM IST