नई दिल्ली: गुरुवार यानी 18 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होना है और इस बार भी उत्तर प्रदेश की आठ सीटें दांव पर हैं भारतीय राजनीति में दिल्ली की कुर्सी के रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर गुजरता है और ऐसे में उत्तर प्रदेश की एक-एक सीट पर सभी पार्टियों की पैनी नज़र है।  हर एक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। एक तरफ हैं सपा-बसपा का साथी जो अपने चुनावी प्रचार में जबरदस्त तरीके से लगा हुआ है। दूसरी ओर मोदी-योगी की जोड़ी भी चुनावी प्रचार में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती और तीसरा मोर्चा संभाले प्रियंका वाड्रा और राहुल गाँधी  किसी तरह कांग्रेस की डूबती नौका को पार लगाने की कोशिश में हैं|  उत्तरप्रदेश की जिन आठ सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होने हैं उनमें शामिल हैं नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी| 
आइये थोड़ा विस्तार से जानते हैं इन सीटों का गणित |

1. नगीना

नगीना लोकसभा क्षेत्र को साल 2008 में लोकसभा क्षेत्र का दर्जा मिला। जिसमें नजीबाबाद, नगीना, धामपुर, नेहटौर और नूरपुर विधान सभा सीटें आती हैं |
नगीना में पहला चुनाव 2009 में हुआ। तब यह सीट सपा के यशवीर सिंह ने जीती थी वहीं 2014 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार यशवंत सिंह ने यहाँ जीत दर्ज की| 11 लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 70 फीसदी है वहीं हिन्दू 29 प्रतिशत हैं | 
2019 में बीजेपी ने मौजूदा सांसद यशवंत सिंह एक बार फिर टिकट दिया है। वहीं सपा और बसपा के गठजोड़ के बाद सपा ने यह सीट बसपा के उम्मीदवार गिरीश चंद्र के लिए छोड़ दी है। उधर कांग्रेस ने ओमवती देवी जाटव को खड़ा किया है|


हालांकि सवाल यह है कि इस सीट पर मुस्लिम बहुसंख्यक में है फिर भी सपा ने ये सीट बसपा के लिए क्यों छोड़ दी जबकि मुस्लिम वोटर सपा का वोट बैंक है? नगीना विधानसभा सीट दलित के लिए आरक्षित सीट है  दलित सपा को वोट नहीं देगा और दलित का वोट बंट न जाये सपा ने 2009 में जीती हुई सीट बसपा के लिए छोड़ दी है अब यह देखना दिलचसप होगा की जिस गणित के लिए सपा और बसपा ने यहाँ से जोड़ी बनायीं थी उसमें कांग्रेस का तीसरा मोर्चा कितनी सेंध लगा पता है और क्या नगीना की जनता एक बार फिर नरेंद्र मोदी पर विश्वास करके बीजेपी के सांसद यशवंत सिंह पर ही मोहर लगाती है ? 

2. अमरोहा 

ग्यारह लाख तिहत्तर हजार नौ सौ पंद्रह(1,173,915) की आबादी वाले लोकसभा चुनाव क्षेत्र अमरोहा में उत्तरप्रदेश विधान सभा की पांच सीटें आती हैं जिनमें अमरोहा, धनौरा, गढ़मुक्तेश्वर, हसनपुर, और नौगवां सादात शामिल हैं | जिनमें धनौरा विधान सभा सीट दलित आरक्षित सीट हैं | अमरोहा जिला में मुस्लिम कुल आबादी का 66 प्रतिशत है | 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा के कँवर सिंह तंवर ने 48 प्रतिशत वोट पाकर सपा के हुमेरा अख्तर और बसपा के फरहत हसन को मात दी थी | लेकिन जो वोट सपा और बसपा में 2014 में बंट गया था उससे एक करने के लिए इस बार यहाँ से बसपा के कुंवर दानिश अली खान भाजपा के मौजूदा सांसद कँवर सिंह तंवर और कांग्रेस के सचिन चौधरी से भिड़ेंगे |

2014 में कांग्रेस ने यह सीट सपा के उमीदवार के लिए छोड़ी थी जो इस बार अकेले ही चुनाव में है | चुनावी गणित में इस सीट पर अभी किसी के लिए भी कुछ कहना संभव नहीं है | क्या 2014 का जो वोट बसपा,सपा और रालोद में बंटा था वो एक होकर "साथी" को वोट करेगा या फिर कांग्रेस उस उम्मीद पर पानी फेर देगा? क्या भाजपा का वोटर उसके साथ रहेगा ? अब इन सवालो का जवाब तो 23 मई को ही मिलेगा | 

3. बुलंदशहर   

अनूपशहर, बुलंदशहर, देबै, शिकारपुर और सिआना विधानसभा क्षेत्रों से सम्मिलित लोकसभा चुनावी क्षेत्र बुलंदशहर में 2014 में बीजेपी का परचम लहराया था | भाजपा के भोला सिंह ने यहाँ 59 प्रतिशत वोट पाकर बसपा और सपा के उमीदवारों को मात दी थी | 2014 में इस सीट पर सपा बसपा और रालोद ने अलग अलग चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार वो तीनो एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे|

 2019 भाजपा ने भोला सिंह को फिर से टिकट दिया है वहीं कांग्रेस ने बंसी पहाड़िया को और महागठबंधन ने योगेश वर्मा को | 

4 अलीगढ़ 

खैर,बरौली,अतरौली,कोइल,अलीगढ़ विधान सभा क्षेत्रों से सम्मिलित अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र सीट पर भाजपा के सतीश कुमार गौतम ने जीत 48 प्रतिशत वोट पाकर जीत हासिल की थी वही सपा और बसपा के उम्मीदवारों ने लगभग बराबर 21 प्रतिशत वोट पाया था | 2019 में यह चुनाव तीन उमीदवारों के बीच है जहाँ वही इस सीट पर 2014 में पांच उम्मीदवार थे|

 चुनावी गणित के हिसाब से ये देखना दिलचस्प होगा की वोट बंट जायेगा या बीजेपी के सतीश कुमार गौतम बसपा के अजीत बालियान और कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह को मात दे पाएंगे |

5 हाथरस 

छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और  सिकंदरा राओ से सम्मिलित लोकसभा सीट हाथरस पर 2014 के चुनावों में भाजपा के राजेश कुमार दिवाकर ने जीत दर्ज की थी | राजेश कुमार ने 51 प्रतिशत वोट पाकर बसपा के मनोज कुमार सोनी और सपा के रामजी लाल सुमन को मात दी थी |

 2019 के चुनाव में भाजपा ने अपना उमीदवार राजेश कुमार को हटाकर राजीव सिंह बाल्मीकि को बनाया है वहीं कांग्रेस ने त्रिलोकीराम  दिवाकर को टिकट दिया है वही पिछली बार तीसरे नंबर पर रहने वाले रामजी लाल सुमन को सपा ने मैदान में उतारा है | 

6. मथुरा

तेरह लाख एकतालीस हजार छह सौ उनचास(1,341,649) मतदाताओं वाले चुनावी क्षेत्र मथुरा में  छाता, मांठ, गोवेर्धन, मथुरा और बलदेव विधानसभा क्षेत्र आते हैं | बॉलीवुड अदाकारा हेमा मालिनी ने 2014 के चुनावों में रालोद के मुखिया अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी को तीन लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी|

 हालाँकि इस बार जयंत चौधरी ने चुनाव बागपत सीट से लड़ रहे हैं जहां पहले चरण में मतदान हो चुका है| इस बार इस सीट पर हेमा मालिनी के खिलाफ रालोद के नरेंद्र सिंह और कांग्रेस से महेश पाठक मैदान में हैं | सपा और बसपा ने ये सीट रालोद के लिए छोड़ी है।  

7. आगरा 

एत्मादपुर, आगरा कैंटोनमेंट, आगरा साउथ,आगरा नार्थ और जलेसर  विधानसभा सीटों से सम्मिलित लोकसभा चुनाव क्षेत्र आगरा, जिसमें  आगरा कैंटोनमेंट और जलेसर दलित आरक्षित विधानसभा सीट है | आगरा लोकसभा चुनाव क्षेत्र की कुल जनसँख्या 18 लाख के करीब है | 2014 के चुनावो मैं भाजपा के राम शंकर कठेरिया ने 54 प्रतिशत वोट पाकर सपा के महाराज सिंह, बसपा के नारायण सिंह और कांग्रेस के उपेंद्र सिंह को मात दी थी | वोट के आधार पर कांग्रेस यहाँ चौथे स्थान पर रही थी और इस बार वो अकेले फिर से मैदान मैं है जहाँ दूसरी तरफ उससे अकेला छोड़ "साथी" गठबंधन है |

 अब देखना होगा या तो कांग्रेस 'साथी' को टक्कर देगा या फिर 'साथी' के लिए वोट काटने का काम करेगा| 2019 में भाजपा ने आगरा सीट से एस पी सिंह भगेल को टिकट दिया है जिनकी टक्कर बसपा के मनोज कुमार सोनी और कांग्रेस की प्रीता से होनी है |

8 फतेहपुर सीकरी

2008 परिसीमन आयोग ने  फतेहपुर सिकरी को लोकसभा क्षेत्र का दर्जा दिया जिसमें आगरा रूरल, फतेहपुर सिकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद  और बाह विधान सभा चुनाव क्षेत्र आते हैं | जिनमें आगरा रूरल दलित आरक्षित सीट है | फतेहपुर सीट में कुल वोटर की संख्या 15 लाख है | 2014 लोकसभा चुनाव में चौधरी बाबूलाल ने 44 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की थी | तब इस सीट पर सपा के पूर्व दिग्गज नेता अमर सिंह ने रालोद की सीट पर यहाँ से चुनाव लड़ा था |

आगरा सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा है क्यूंकि जहाँ भाजपा ने इस सीट पर इस बार राज कुमार चाहर को उतारा है वहीँ कांग्रेस ने राज बब्बर को यहाँ से टिकट दी है वहीँ  बसपा ने श्रीभगवान शर्मा को यहाँ से खड़ा किया है | 

अब तो 18 अप्रैल के मतदान ही तय करेंगे की जनता का भरोसा अभी भी भाजपा के साथ है या फिर सपा और बसपा के एक हो जाने को वोटर किसी नयी उम्मीद से देखता है हालांकि कांग्रेस के लिए अभी दिल्ली बहुत दूर है क्यूंकि न तो उससे यहाँ प्रदेश पार्टियों से समर्थन मिला और पार्टी नेतृत्व पर भी अभी कई सवाल खड़े हैं|