लोकसभा चुनाव 2019 अपने आखिरी पड़ाव पर है। डेढ़ महीने तक चली चुनावी प्रक्रिया के बाद अब देशभर में वोटों की गिनती का काम शुरू हो चुका है। अब से कुछ ही देर में शुरुआती रुझान आना शुरू हो जाएंगे। 

हाल में आए एग्जिट पोल नतीजों से कयास लगाया जा रहा है कि चुनाव के नतीजे भी एग्जिट पोल नतीजों जैसे होंगे। देश में एक बार फिर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार का गठन होगा। मोदी के नेतृत्व में नया मंत्रीमंडल गठित किया जाएगा।

मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के मंत्रीमंडल में किसे क्या जिम्मेदारी सौंपेंगे, इसका कयास चुनाव नतीजे स्पष्ट होने के बाद ही लगाया जा सकता है। नतीजों के बाद ही हमें पता चलेगा कि वित्त, रक्षा, गृह, विदेश समेत अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी किसके पास होगी। बहरहाल, केन्द्र में मोदी सरकार बने या फिर किसी अन्य गठबंधन की सरकार, दोनों ही स्थिति में नई सरकार के सामने कई कड़ी चुनौतियां मौजूद हैं जिसका फैसला जल्द से जल्द लिया जाना है।

ट्रेड में संतुलित विकास

बीते पांच साल के दौरान कई घरेलू और वैश्विक कारणों से मौजूदा समय अर्थव्यव्स्था के लिए चुनौतियों से भरा है। वैश्विक दबाव में अर्थव्यवस्था की कमजोर होती रफ्तार और घरेलू स्तर पर घटती मांग से निजी क्षेत्र का निवेश कमजोर हुआ है। एफएमसीजी सेक्टर की फ्रिज, टीवी, एसी जैसे उत्पादों से लेकर ऑटो सेक्टर में पैसेंजर वेहिकल की सेल में गिरावट गंभीर संकेत दे रहे हैं। 

कमजोर न पड़ने पाए विकास दर

वैश्विक रेटिंग एजेंसी नीलसन की रिपोर्ट का दावा है कि देश के ग्रामीण इलाकों में जरूरी उत्पादों की सिकुड़ती मांग ज्यादा बड़ा चुनौती है। वहीं 23 मई को नतीजे आने के बाद 31 मई को जीडीपी आंकड़ा आ रहा है। आर्थिक जानकारों का अनुमान है कि विकास दर में गिरावट देखने को मिलेगी। 

वहीं वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर से भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता के संकेत भी मिल रहे हैं। लिहाजा, नई सरकार को इस परिस्थिति में घरेलू और वैश्विक कारोबार के क्षेत्र में अहम फैसले करने की जरूरत है।

होगा नुकसान या मिलेगा फायदा?

चीन और अमेरिका वैश्विक व्यवस्था को दो सबसे बड़े खिलाड़ी हैं और उन दोनों के बीच जारी संग्राम भारत के लिए दो धारी तलवार की तरह है। इस ट्रेड वॉर के विपरीत असर से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती छा सकती है हालांकि सटीक फैसलों के सहारे अमेरिका और चीन की इस लड़ाई का फायदा भी उठाया जा सकता है।

लिहाजा, चुनाव नतीजों के तुरंत बाद केन्द्र की नई सरकार को अपनी ट्रेड नीति को दुरुस्त करने के लिए अहम फैसले करने की जरूरत है।