लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे अब से कुछ देर में आपके सामने होंगे. हाल ही में आए एग्जिट पोल नतीजे देश में एक बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने का इशारा कर रहे हैं। इन चुनावों में प्रचार के दौरान जहां विपक्ष ने रोजगार के मुद्दे को उठाकर मौजूदा केन्द्र सरकार को घेरने का काम किया वहीं आर्थिक आंकड़ें बता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था के सामने नए रोजगार के सृजन की चुनौती बीते एक दशक से कायम है।

लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भी तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार रोजगार की चुनौती के चलते सत्ता गंवाने में विवश हुई थी. वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल में भी विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। लिहाजा, एक बात स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था में लंबे समय  से रोजगार की चुनौती है और इससे निपटने के लिए अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता।

रोजगार की समस्या को समझने के लिए केन्द्र सरकार की सर्वे संस्था एनएसएसओ की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा होने से भी रोजगार सृजन की नीति निर्धारित नहीं हो पा रही है। मोदी सरकार ने अब श्रम मंत्रालय से मुद्रा योजना के तहत रोजगार सृजन पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि नई सरकार के कार्यकाल में इस रिपोर्ट को जारी किया जाएगा और इस रिपोर्ट के आधार पर नई सरकार को रोजगार नीति को लागू करने की चुनौती रहेगी।

खासबात है कि कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि यदि वह 2019 में सरकार बनाने में सफल होती है तो गरीबी रेखा के नीचे सभी लोगों को यूनीवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) योजना के तहत डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए एक न्यूनतम आय का प्रावधान किया जाएगा।

वहीं 2014 में केन्द्र में मोदी सरकार के गठन के बाद मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत, योग, जनधन, अंत्योदय, सबके लिए घर, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटी, स्टैंड अप इंडिया जैसे फ्लैगशिप योजनाओं को लॉन्च किया गया। 
इन योजनाओं में प्रधानमंत्री जनधन योजना (28 अगस्त 2014) अहम है। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार गरीब जनसंख्या के फाइनेंनशियल इंक्लूजन की कवायद करती है जिससे प्रत्येक गरीब व्यक्ति का बैंक खाता बनाया गया और अब उन्हें वित्तीय सहायता देने की योजना को लागू करना है।

इसके अलावा मोदी सरकार के कार्यकाल में डिजिटल इंडिया (26 अगस्त 2014) लागू किया गया जिसके तहत सरकार की कोशिश देश के आखिरी नागरिक तक डिजिटल सुविधा पहुंचाते हुए उसे नॉलेज इकोनॉमी से जोड़ने का काम किया।
वहीं रोजगार के लिए अहम मेक इन इंडिया योजना को  25 सितंबर 2014 को लागू किया गया और इसके तहत रोजगार के  बड़े संसाधन तैयार करने के लिए देश को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की कवायद की गई है। हालांकि इस योजना का नतीजा अभी सामने नहीं आया है लेकिन नई सरकार को अब इस दिशा में अहम फैसला करना है कि वह कैसे मल्टीनैशनल कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने के लिए तैयार करे।