लखनऊ। हाथों में तस्वीर लिए लखनऊ की सड़को पर 26 साल की राखी उर्फ महागनी अपनी पहचान तलाश रही हैं और अपनों की तलाश में जगह-जगह भटक रही है। २१ साल अमरीका में गुज़ार कर महागनी अपनों की तलाश में लखनऊ में आईं है। कौन है ये लड़की? 

जीआरपी को मिली थी लावारिस बच्ची 
साल 2000 की बात है चारबाग रेलवे स्टेशन पर जीआरपी को एक चार साल की बच्ची लावारिस अवस्था में मिलती है। जीआरपी ने बच्ची को चाइल्ड केयर पहुंचा दिया।अमेरिका की महिला बच्ची को चाइल्ड केयर से गोद ले लेती है और अपने साथ अमरीका ले जाती है। महिला उस बच्ची को पालती पोसती है,पढ़ाती  लिखाती है लेकिन  वही लड़की 26 साल की होने के बाद लखनऊ वापस लौटती है, अपने परिवार को ढूंढने ताकि उनसे पूछ सके की क्यों उसे छोड़ दिया था। 



 

क्यों अमरीका से वापिस आ गयी महोगनी 

क्रेयल  ने महागनी की परवरिश किया ,पढ़ाया लेकिन उन्हें टॉर्चर भी बहुत किया। इससे तंग आकर महागनी ने हाई स्कूल पूरा करने के बाद उसका घर छोड़ दिया था हालांकि  एक साल बाद  उस महिला की मौत हो गई जिसने उसे गोद लिया था। मगर इससे पहले वो बच्ची को हकीकत बता जाती है,जिसे सुनकर उसे झटका लगता है और फिर वो शुरू करती है अपने बायोलॉजिकल यानी असली माता की तलाश। वह कहती है कि उनका परिवार अगर यहां मिल गया तो वह उनसे पूछेंगे कि आखिर उन्हें क्यों लावारिस अवस्था में छोड़ दिया था । महागनी  आठ सितंबर को अपने दोस्त क्रिस्टोफर के साथ भारत लौटी और लखनऊ आकर उन्होंने सबसे पहले चारबाग रेलवे स्टेशन को जाकर जीआरपी के रिकॉर्ड खंगाले लेकिन कुछ नहीं मिला।  इसके बाद उन्होंने लीलावती मुंशी बालिका बालगृह भी जाकर रिकॉर्ड देखे लेकिन वहां से भी कोई जानकारी नहीं मिल सकी। हर रोज़ महागनी पुलिस और  वकीलों से भी वह मिल रही  हैं ।

 

कैफे मैनेजर की नौकरी किया 
महागनी  अमेरिका के मिनेसोटा राज्य स्थित मिनेटोंका (Minnetonka) में एक कैफे में जॉब करती थी। पेशे से वह कलाकार भी हैं और तो और मॉडलिंग भी  करती हैं। इसी से वह पैसा कमाती हैं और जो भी पैसे इन्होंने अब तक इकट्ठा किए थे। उन्हीं पैसों की मदद से वह लखनऊ लौटी हैं और यहां पर इंदिरा नगर में रहकर गुजारा कर रही हैं।

दोस्त निभा रहा है दोस्ती

क्रिस्टोफर ने बताया कि लगभग 6 साल पहले अमेरिका में उनकी मुलाकात महागनी से हुई थी महागनी ने उनको बताया था कि उनका कोई भी नहीं है, उन्हें अपना असली नाम भी नहीं पता है और जन्म की तारीख भी नहीं जानती हैं. सारी कहानी जानने के बाद उन्होंने महागनी को यह आईडिया दिया कि क्यों न वह अपने वतन लौटकर अपनों की तलाश करें। यहां पर वह अपनी दोस्त महागनी की इस संभव से सफर में उनका साथ देने के लिए यहां पर आए हैं।

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