वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मध्य प्रदेश के भोजशाला का भी एएसआई सर्वे कराया जाएगा। यह आदेश 11 मार्च को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
इंदौर। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मध्य प्रदेश के भोजशाला का भी एएसआई सर्वे कराया जाएगा। यह आदेश 11 मार्च को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। एमपी के धार स्थित भोजशाला के एएसआई सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की याचिका पर दिया गया आदेश
बताते चलें कि धार स्थित मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से हाईकोर्ट में आवेदन किया गया था। जिस पर पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया।
My request for Asi survey of bhojshala/dhar in madhya pradesh is allowed by indore high court. Maa vag devi ki jai pic.twitter.com/GxNVDWANZP
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) March 11, 2024
याचिका में की गई है हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दाखिल याचिका के जरिए हिंदु फ्रंट फार जस्टिस ने मांग की थी कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के प्रारंभिक तर्क सुनने के बाद मामले में राज्य और केंद्र सरकार सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस याचिका में एक अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करते हुए मांग की गई थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया जाए कि वह वाराणसी के ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में भी सर्वे करके इसकी सच्चाई सामने ले आए। सोमवार को इसी अंतरिम आवेदन पर बहस हुई।
एएसआई ने दोबारा सर्वे की जरूरत से किया इनकार
इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1902-03 में भोजशाला का सर्वे हुआ था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट के रिकॉर्ड में है। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने भी सर्वे की आवश्यकता को नकारा है। उसका कहना है कि वर्ष 1902-03 में हुए सर्वे के आधार पर ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने आदेश जारी कर मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज का अधिकार दिया था। यह आदेश आज भी कायम में है। लिहाजा इसके दोबारा वैज्ञानिक सर्वे की जरूरत नहीं है।
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Last Updated Mar 11, 2024, 5:29 PM IST