माफिया मुख्तार अंसारी का बांदा जेल में अंत हो गया। उसकी मौत से जहां उसके सताए हुए लोगों में खुशी है, वही उसकी छत्रछाया में रहने वाले सैकड़ों, हजारों लोग हैं, जो उसकी कहानियां सुनाते हुए नहीं थकते हैं। मुख्तार की दिलेरी से लेकर दबदबे तक की कहानियों से इलाका पटा पड़ा है।
गाजीपुर। माफिया मुख्तार अंसारी का बांदा जेल में अंत हो गया। उसकी मौत से जहां उसके सताए हुए लोगों में खुशी है, वही उसकी छत्रछाया में रहने वाले सैकड़ों, हजारों लोग हैं, जो उसकी कहानियां सुनाते हुए नहीं थकते हैं। मुख्तार की दिलेरी से लेकर दबदबे तक की कहानियों से इलाका पटा पड़ा है। इन्हीं में से मुख्तार के बेड़े में शामिल गाड़ियों के 786 नंबर सीरीज की है। यूं तो उसके बेड़े में एक से एक गाड़ियां शामिल थीं, लेकिन उसकी एक और ललक थी, जो उसकी मौत के साथ अधूरी रह गई। जिसे वह जेल से बाहर आने के बाद पूरी करना चाहता था।
खौफ का दूसरा नाम था मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी यानि खौफ का दूसरा नाम। कहते हैं जब उसका काफिला गुजरता था, तो बड़े से बड़े लोग अपना रास्ता बदल देते थे। ये वो दौर था जब मार्केट में मारुति जिप्सी, मारुति कार और वैन जैसी गाड़ियां नई-नई आईं थीं। मुख्तार अंसारी वर्ष 1986 में जब हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड के बाद पहली बार जेल से बाहर आया तो उसके काफिले में उस वक्त की लक्जरी गाड़ियों का जो काफिला था, उन सभी गाड़ियों का नंबर भी 786 था।
अपने गाड़यों के बेड़े में शामिल करना चाहता था 'हमर'
मुख्तार अंसारी के काफिले में सफेद रंग की खुली जिप्सी और एक रंग की 6 टाटा सफारी होती थीं। सभी पर 786 की नंबर प्लेट लगी होती थी। मुख्तार अपने गाड़ियों के बेड़े में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बिकने वाली SUV कार 'हमर' को शामिल करना चाहता था। वह कहता भी था कि जेल से बाहरआने के बाद वह हमर को अपना नया हमसफर बनाएगा, परंतु यह इच्छा उसकी पूरी नहीं हो पाई।
क्रिकेटर के साथ बेहतरीन निशानेबाज भी था मुख्तार
बहुत कम लोगों को पता होगा कि डॉन बनने से पहले कॉलेज के दिनों में मुख्तार अच्छे क्रिकेटर के साथ-साथ बेहतरीन निशानेबाज भी था। उसे महंगी गाड़ियों का शौक था। कॉलेज के दिनों में उसे उसके दोस्त लंबू बुलाते थे। वह दोस्तों के साथ बुलेट और जीप की सवारी करते हुए मोहम्मदाबाद और गाजीपुर की सड़कों पर रौब झाड़ते दिखता था।
सियासत में कदम रखने के बाद बढ़ गया था मुख्तार का गाड़ियों का प्रेम
जरायम की दुनिया से सियासत के घराने में कदम रखने के बाद मुख्तार का गाड़ियों को प्रेम और बढ़ गया। अब उसके काफिले में Tata Safari और Maruti Gypsy के साथ Ford, Endeavour, Pajero, Sport, Audi, BMW जैसी गाड़ियां भी शामिल हो गईं थीं। शिकार का शौकीन मुख्तार 80 के दशक में बुलेट, जीप और एंबेस्डर कार से घूमता था। आज भी उसकी पत्नी के पास ऑडी, मर्सडीज और बीएमडब्ल्यू तो बेटे अब्बास और उमर के काफिले में टोयोटा फॉर्च्यूनर, फोर्ड एंडेवर और BMW जैसी कारें हैं।
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Last Updated Mar 29, 2024, 3:54 PM IST