पटना। बिहार में इस साल होने विधानसभा चुनाव की तैयारियां राज्य में विपक्षी दलों ने शुरू कर दी हैं। बिहार में कांग्रेस अपने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल पर सीटों के बंटवारे के लिए दबाव बना रही है। कांग्रेस मई से पहले सीटों का बंटवारा चाहती है। ताकि राज्य में सत्ताधारी जदयू और भाजपा गठबंधन को दी जा सके। हालांकि अभी तक राज्य  में विपक्षी दलों का महागठबंधन लोकसभा चुनाव की तरह बना नहीं है।

फिलहाल कई राज्यों में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और कांग्रेस शुरुआती गठबंधन के लिए राजद पर दबाव डाल रही है।  कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां राज्य में शूरू कर दी हैं। कांग्रेस ने राज्य की 243 विधानसभा सीटों के लिए रणनीति तैयार की है। इसके तहत कांग्रेस ने जीतन वाली सीटों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। इसके तहत कांग्रेस ने प्रत्याशियों के जीतने की स्थिति को  ए, बी और सी में विभाजित किया है।

कांग्रेस का कहना है कि बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले देरी से गठबंधन बना था और सीटों का बंटवारा हुआ था। जिसके कारण महागठबंधन को नुकसान हुआ। लोकसभा में महज कांग्रेस एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी। जबकी राजद और अन्य दलों को एक भी सीट नहीं मिली थी। लिहाजा इस बार कांग्रेस विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही सीटों का बंटवारा चाहती है।  राज्य में वर्तमान में 27 विधायक हैं और कांग्रेस पार्टी का मानना है कि वह इस बार 50 आकंड़ा पार करेगी।

 गौरतलब है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जदयू और राजद मिलकर चुनाव लड़े थे और कांग्रेस 27 सीटें जीतने में कामयाब रही।  वहीं कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और मुकेश साहनी की विकास इन्सान पार्टी के बीच गठबंधन पहले चाहती है। फिलहाल बिहार में राजद243 सीटों में से कम से कम 150 सीटों पर दावा  करने जा रही है। जिसके कारण कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं कांग्रेस 70  सीटों पर दावेदारी करेगी।  लिहाजा अन्य दलों को इसमें ज्यादा  हिस्सेदारी नहीं मिल सकेगी। इसलिए कांग्रेस पहले ही सीटों का बंटवारा चाहती है।