उत्तर प्रदेश की वीवीआईपी सीट माने जाने वाली गोरखपुर में प्रत्याशी के नाम का फैसला ‘महंत’ योगी आदित्यनाथ तय करेंगे। अभी तक बीजेपी ने इस सीट पर किसी भी प्रत्याशी का नाम तय नहीं किया है। जबकि राज्य में 70 सीटों पर पार्टी नाम तय कर चुकी है। पार्टी को राज्य की दस और लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करना है। लेकिन सबकी नजर गोरखपुर पर लगी है।

बीजेपी ने राज्य की 80 सीटों में 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं। इसमें मिर्जापुर और राबर्टगंज(सुरक्षित) की सीट सहयोगी अपना दल को दी है। जबकि अभी तक हाल ही में एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनी निषाद पार्टी और राज्य सरकार में सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा को कोई नहीं दी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को दो-दो सीटें दे सकती है। सहयोगी दलों को भदोही, अम्बेडकर नगर या जौनपुर की सीटें दी जा सकती है। जबकि प्रतापगढ़, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर और घोसी की सीटों पर पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी। घोसी सीट सुभासपा के कोटे में देने की बात चली थी, लेकिन अभी तक पार्टीं ने इस पर फैसला नहीं लिया है हालांकि सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर बीजेपी पर दबाव बनाए हुए हैं। 

फिलहाल गोरखपुर सीट पर सबकी नजर लगी हुई है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ जीते थे। योगी यहां से लगातार चार बार जीत का प्ररचम फहराया है। जबकि गोरखपुर में 2017 में उपचुनाव में गोरखपुर से योगी की पसंद को दरकिनार करते हुए पार्टी ने उपेन्द्र शुक्ला को टिकट दिया था और उन्हों एसपी के प्रवीण निषाद ने हाराया था। इस चुनाव में एसपी को बीएसपी ने समर्थन दिया था। गोरखपुर सीट पर हमेशा से ही गोरक्षपीठ का असर रहा है। लेकिन उपचुनाव में शुक्ला के खिलाफ योगी ने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी और वह ज्यादा समय चुनाव प्रचार से दूर रहे।

अब ये कहा जा रहा है कि गोरखपुर में योगी के किसी करीबी या फिर उनके आर्शीवाद प्राप्त नेता को ही टिकट दिया जाएगा। यानी गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर ही तय करेंगे कि किसे टिकट दिया जाए। दो दिन पहले ही सीएम आवास पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ नेताओं के बीच गोरखपुर की सीट के लिए बातचीत हुई है। जिसमें दस सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हुई।