जम्मू। सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को फिर से जीवित करने की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है। सुरक्षा बलों ने आईएसआई के छह जासूसों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के पास से सामरिक ठिकानों की तस्वीरें और वीडियो जब्त किए गए हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, ये छह जासूस अपने हैंडलर के सीधे संपर्क में थे। वह आईएसआई की कश्मीर सेल में कर्नल स्तर का अधिकारी बताया जा रहा है। उसकी पहचान सिर्फ पहले नाम इफ्तिखार से हुई है। जासूसों के संपर्क सीमा पार आतंकवादी संगठन हिजबुल-मुजाहिदीन से भी थे।

दरअसल, सुरक्षा बलों ने मई महीने में जम्मू में रत्नूचक सैन्य स्टेशन के बाहर वीडियो बनाने और तस्वीरें खींचने को लेकर दो लोगों को गिरफ्तार किया था। आतंकवादी संवेदनशील सैन्य स्टेशन को निशाना बनाने की फिराक में हैं। दिसंबर में उन्होंने एक चौकी पर तैनात एक संतरी पर गोलियां भी चलाई थीं।

पूछताछ के दौरान, डोडा जिले के मुश्ताक अहमद मलिक (38) और कठुआ जिले के नदीम अख्तर (24) ने सुरक्षा अधिकारियों को बताया कि उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से भी आकाओं द्वारा निर्देशित किया जा रहा था। अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों ने जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तानी जासूसों के रूप में काम कर रहे चार अन्य लोगों के बारे में भी जानकारी दी।

उस जानकारी के आधार पर सद्दाम हुसैन, मोहम्मद सलीम और मोहम्मद शफी (सभी कठुआ जिले से) और सफदर अली को गिरफ्तार किया गया।

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जासूसों ने खुलासा किया कि उन्हें आईएसआई अधिकारी द्वारा क्षेत्र में युवाओं की भर्ती कर जम्मू में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने का काम सौंपा गया था। उनकी अगुवाई कर रहा हिजबुल कमांडर मूल रूप से जम्मू क्षेत्र का रहने वाला था। लेकिन आतंकवाद से जुड़ने के बाद वे पाकिस्तान और पीओके में बस गए।

अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब के तीन पर्वतीय जिलों से हैं। सुरक्षा अधिकारियों को उनके पाकिस्तानी आकाओं के मोबाइल फोन नंबर भी मिले हैं। वे विस्तृत जानकारी एकत्र कर रहे हैं।

रत्नूचक से गिरफ्तार जासूसों के मोबाइल फोन की जांच करने पर यह पता चला कि दोनों पाकिस्तान में कुछ लोगों के नियमित संपर्क में थे। उन्होंने गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले व्हाट्सएप्प के जरिये कुछ वीडियो भी साझा किए थे। (इनपुट एजेंसी से भी)