नई दिल्ली। भारत का पड़ोसी देश मालदीव चीन के कर्जजाल में फंस चुका है। अर्थव्यवस्था के आधे से अधिक हिस्सा का हिस्सा चीन का कर्ज है और अब मालदीप को चिंता सता रही है कि चीन की सरकार उसके ऊपर कर्ज लौटाने के लिए दबाव बना सकती है और नए शर्तों को थोप सकती है। पिछले साल ही चीन की साजिश का शिकार बना श्रीलंका उसे अपनी जमीन लीज पर देने के लिए मजबूर हो गया था। चीन ने श्रीलंका में बंदरगाह को अपने कब्जे में लिया था। वहीं माना जा रहा है कि  अगले दस सालों के बाद पाकिस्तान का भी हाल मालदीव की तरह होगा। 

असल में मालदीप की पिछली अब्दुल्ला यामीन सरकार का झुकाव चीन की तरफ थे और मालदीव सरकार ने 2013 से 2018 में बीच बड़े पैमाने पर चीन से कर्ज लिया। हालांकि उस वक्त सोचा नहीं गया और चीन कर्ज देता रहा और मालदीप कर्ज लेता रहा। लेकिन अब मालदीव चीन की साजिश का शिकार हो चुका है।  मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और संसद के मौजूदा स्पीकर मोहम्मद नशीद के अनुसार मालदीप पर चीन का 3.1 अरब डॉलर का कर्ज है, जो देश की पूरी अर्थव्यवस्था का करीब 4.9 अरब डॉलर है।

अगर इसको भारतीय रुपये के हिसाब से देखें तो छोटे से देश मालदीव पर चीन का 2282 करोड़ रुपए कर्ज है। भारत के पड़ोसी मालदीप की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है और इसकी आबादी 5 .16 लाख है। यानी जनसंख्या के आधार पर देखें तो मालदीव के हर व्यक्ति के सिर पर 4.42 लाख रुपए का कर्ज है।

 जानकारी के मुताबिक अब्दुल्ला यामीन सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ाने के लिए चीन से कर्ज लिया था। उनका झुकाव चीन की तरफ थे। इसके ऐवज ने चीन की कंपनियों को मालदीप में कारोबार करने का मौका मिला। यही नहीं पूर्व की सरकार ने निजी कंपनियों को भी कर्ज दिलवाया और इसकी गारंटी सरकार ने दी। वहीं कोरोना संकटकाल में मालदीव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। क्योंकि मालदीप की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है।