भारत में पुनर्जागरण का सूत्रपात करने वाला बंगाल आज ममता बनर्जी का बंगाल है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर है। वह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में इतना आगे बढ़ गई हैं कि उन्हें आधुनिक शिक्षा को भी प्रभावित करने से गुरेज नहीं है। 

'माय नेशन' के पास उपलब्ध पश्चिम बंगाल सरकार के 2019-20 के बजट की प्रति के अनुसार टीएमसी सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों और मदरसों के विकास के लिए राज्य में उच्च शिक्षा से ज्यादा पैसा दिया है। 

सरकार के बजट दस्तावेज के मुताबिक राज्य में मदरसों के विकास के लिए 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आवंटित की गई है। वहीं बंगाल में समूची उच्च शिक्षा का बजट महज 3,964 करोड़ रुपये रखा गया है। 

बंगाल सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए राज्य के भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने में लगी है। 

पश्चिम बंगाल भाजपा के महासचिव रितेश तिवारी ने 'माय नेशन' से कहा, 'यह खुलेआम मुस्लिम तुष्टिकरण है। यह खेल तब शुरू हुआ जब ममता विपक्ष में थीं और राज्य में बुद्धदेब भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाममोर्च की सरकार थी। टीएमसी सरकार के दौरान इसमें लगातार वृद्धि हुई है। मुस्लिम कट्टरपंथियों के साथ उनका खिलाफ जगजाहिर है। यह तुष्टिकरण का निचला स्तर है। वह राज्य में जो कुछ भी बचा है, उसे बर्बाद करने पर तुली है।'

'माय नेशन' ने टीएमसी के महासचिव और राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से उनका पक्ष जानना चाहा। लेकिन कई बार कॉल करने और मैसेज भेजने पर भी उनकी ओर से कोई  प्रतिक्रिया नहीं मिली। 

ममता मदरसों पर कितनी राशि खर्च कर रही हैं, इसका अंदाजा राज्य में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए आवंटित राशि को देखकर ही लगाया जा सकता है। जहां मदरसों के विकास के लिए 4,016 करोड़ रुपये रखे गए हैं वहीं पूरे बंगाल के पीडब्ल्यूडी के लिए महज 5,336 करोड़ रुपये ही दिए गए हैं। 

रितेश तिवारी का दावा है कि ममता भाजपा की राज्य में लगातार बढ़ रही ताकत को देखते हुए ऐसा कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'भाजपा ने टीएमसी के पारंपरिक वोटबैंक में सेंध लगाई है। पश्चिम बंगाल की हिंदी भाषी आबादी और मध्यम वर्ग भाजपा की तरफ मुड़ रहा है। यही कारण है कि ममता को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में इतने आगे तक बढ़ना पड़ा है। कुछ इलाकों में उसके मुस्लिम वोट बैंक में कांग्रेस की सेंध लगने का भी खतरा है।'

अगर बजट में किए गए आवंटन की हिस्सेदारी पर नजर डालें तो अल्पसंख्यकों और मदरसों के विकास के लिए पिछले साल के मुकाबले ज्यादा राशि आवंटित की गई है। 2018-19 के बजट में राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए 3713 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इसमें इस साल 6.74% की बढ़ोतरी की गई है। वहीं पिछले साल मदरसों के विकास और अल्पसंख्यक मामलों के लिए 3258 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस साल बजट में 23% की वृद्धि की गई है।