पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में सवर्णों को लुभाने के लिए सवर्ण आरक्षण का दांव चल दिया है। इसके जरिए ममता राज्य की अगड़ी जातियों में पैठ बनाना चाहती है। राज्य सरकार ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरी में देने क फैसला किया है।

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने औपचारिक तौर पर आज कोलकाता में ऐलान किया है। हालांकि इस पर अभी तक नोटिफिकेशन जारी  नहीं हुआ है। राज्य में लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी टीएमसी को बीजेपी से मिली शिकस्त के बाद ममता बनर्जी राज्य से सभी वर्गों को लुभाने की कोशिश कर रही है। लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है जबकि बीजेपी को 18 सीटें मिली हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 37 और बीजेपी को दो सीटें मिली थी। लिहाजा अब राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में टीएमसी को बीजेपी से कड़ी चुनौती मिलने के पूरे आसार हैं। बीजेपी भी राज्य में टीएमसी को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। लिहाजा अब ममता बनर्जी ने सवर्ण आरक्षण का दांव खेला है।

असल में बीजेपी का कोर वोटर भी सवर्ण है, जो पिछले पांच साल से बीजेपी के  पक्ष में एकजुट हुआ है और इसका खामियाजा ममता को लोकसभा चुनाव और राज्य में हुए उपचुनाव में उठाना पड़ा है। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब सरकारी नौकरियों में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

इस फैसले के तहत  राज्य के आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। राज्य में बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए ममता बनर्जी तरह के ऐलान कर रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने सभी विपक्षी दलों से बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की बात कही थी। हालांकि कांग्रेस ने उनकी इस मांग को कोई तवज्जो नहीं दी।