पटना। दो  दिन पहले ही बड़े राजनैतिक गठजोड़ कर सियासी बहस छेड़ने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने  एआईएमआईएम प्रमुख असदु्द्दीन औवेसी को बड़ा झटका दिया है। मांझी को आज ओवैसी की रैली में हिस्सा लेने जाना था लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने रैली से किनारा कर लिया है। मांझी रैली के बजाए झारखंड में हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होंगे।

मांझी ने भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ओवैसी की पार्टी से किनारा किया है। असल में मांझी के औवेसी की रैली में शामिल होने फैसले से बिहार में विपक्षी महागठबंधन में बिखराव के तौर पर देखा जा रहा था। हालांकि पिछले दिनों ही मांझी ने महागठबंधन से किनारा कर लिया था। क्योंकि मांझी को तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर सवाल दागे थे। हालांकि दो महीने पहले हुए उपचुनाव में कांग्रेस और राजद ने मांझी की पार्टी को एक भी सीट नहीं दी थी, जिसके बाद उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था।

 जिसके बाद ये माना जा रहा था कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन आकार नहीं ले पाएगा और हम उसमें शामिल नहीं होगा। उधर मांझी ने यहां कि झारखंड बिहार का पड़ोसी राज्य है और सोरेन के शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने के राजनीतिक महत्व होंगे। लिहाजा वह रांची जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में सभी राजनैतिक दल खड़े हैं और इसमें वह भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में महागठबंधन बना था और जिसने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इसमें कांग्रेस को ही एक सीट मिली थी जबकि किसी भी सहयोगी दल के खाते में एक भी सीट नहीं आई। लेकिन झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम और  राजद को मिली जीत के बाद मांझी को लग रहा है कि बिहार में भी ये प्रयोग सफल हो सकता है। लिहाजा उन्होंने रांची में सोरेन की रैली में जाने का फैसला किया।