नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासत गर्मा गई है। राज्य में महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल और तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोले हिंदुस्तानी आवाम पार्टी के अध्यक्ष जीनत राम मांझी फिलहाल मझधार में फंसते नजर आ रहे हैं। क्योंकि महागठबंधन के सभी दल राजद से अलग नहीं होना चाहते हैं जबकि मांझी राजद और तेजस्वी का विरोध कर तीसरे मोर्चे के विकल्पों पर तेजी से काम कर रहे थे। लेकिन सहयोगी दलों ने साफ कह दिया है कि अब समय नहीं कि चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा बनाया जा सके। 

फिलहाल बिहार में चुनाव से पहले महागठबंधन में बिखराव देखा ही जा रहा है। हालांकि अभी तक राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन नहीं बना है। लेकिन लोकसभा चुनाव में बना महागठबंधन सिर्फ नाम के लिए बिहार की सिसासत में मौजूद है। हालांकि जीतन राम मांझी लोकसभा चुनाव के बाद साफ कह चुके थे कि राज्य में महागठबंधन चुनाव के बाद खत्म हो गया है। लिहाजा इसे नए सिरे से बनाना होगा। लिहाजा वह लगातार राजद से समन्वय समिति बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन राजद ने अभी तक उनके आक्रामक रूप को देखते हुए तवज्जो नहीं दे रहा है।


वहीं अब महागठबंधन के दूसरे सहयोगियों ने मांझी से कह दिया है कि भाजपाऔर जदयू के खिलाफ 2020 में महागठबंधन को मजबूती से खड़ा होना है तो राजद को साथ ही रखना ही हो। राज्य में राजद का कोई विकल्प नहीं है और चुनाव जीतने के लिए उसे साथ लेकर ही चलना होगा.। यही नहीं कांग्रेस वीआईपी और वामदलों ने भी मांझी को झटका देते हुए राज्य में तीसरे मोर्चे के गठन को खारिज कर दिया है। जिसके बाद राज्य में मांझी अलग-थलग पड़ गए हैं और सहयोगियों ने मांझी को ही बीच मंझधार में साथ छोड़ दिया।

असल में मांझी ने राजद के खिलाफ दांव खेला था लेकिन अब ये उनके लिए ही उल्टा पड़ने लगा है। फिलहाल मांझी राजद का विरोध कर महागठबंधन में तो नहीं रह सकते हैं ये सहयोगी दलों की मंशा से साफ हो चुका है जबकि अब उनके पास एक ही विकल्प बचा है कि वह एनडीए की तरफ रूख करें। क्योंकि पिछले कई दिनों से मांझी राज्य के सीएम नीतिश कुमार की तारीफ कर रहे हैं।  जिसको देखकर लगता है कि मांझी दूसरे विकल्पों पर भी सोच रहे हैं और इसी के लिए उन्होंने तीसरे मोर्चे का दांव खेला हो।  ताकि इधर नहीं तो उधर।