मराठों के लिए आरक्षण व्यवस्था तय करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर पिछड़ा वर्ग आयोग को रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा था। एक साल बाद 15 नवंबर को आयोग ने अपनी रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार को सौंप दी। इसे महाराष्ट्र कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी और अब यह बिल विधानसभा से भी पारित हो गया है।
महाराष्ट्र में अब मराठा समुदाय को नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण मिलेगा। फडणवीस सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में मराठा आरक्षण का बिल पेश किया, जो कि सर्वसम्मति से पास हो गया। मराठा समुदाय को ये आरक्षण एसईबीसी(SEBC) के तहत दिया जाएगा। अब इस बिल को विधानपरिषद में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि महाराष्ट्र सरकार 5 दिसंबर से राज्य में मराठा आरक्षण लागू करने की कोशिश में है। जिससे कि अगले पांच दिनों में कानूनी औपचारिकता पूरी कर इसे पूरी तरह लागू किया जा सके।
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को विधानसभा परिषद में कहा था कि विधेयक को पारित कराने के लिए जरूरत पड़ने पर राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
आरक्षण बिल पास होने के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा, 'हमने मराठा आरक्षण के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है और हम आज विधेयक लाए हैं।'
मराठा आरक्षण पर अंतिम राय बनाने के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को मीटिंग बुलाई थी। इसमें कैबिनेट की उप समिति सहित विपक्ष के सभी नेता मौजूद थे।
लेकिन मराठा आरक्षण अभी भी अनिश्चितताओं के भंवर में फंसा हुआ है। जानकारों का कहना है कि मराठाओं की जनगणना के समय उनके साथ कुनबी(माली) समुदाय को भी शामिल किया गया है। लेकिन कुनबी पहले से ही ओबीसी कोटे में शामिल हैं। इसलिए वह मराठाओं के साथ एसईबीसी वर्ग में शामिल नहीं होना चाहेंगे क्योंकि इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
इसके अलावा मराठाओं को दिया जाने वाला आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय सीमा 50 फीसदी को भी पार कर रहा है जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
लेकिन महाराष्ट्र सरकार यह बिल पास करके लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे मराठाओं को फिलहाल अपने पाले में खींचना चाहती है।
Last Updated Nov 29, 2018, 4:39 PM IST