बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा के बागी सांसद राज कुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी(एलएसपी) के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। आगामी लोकसभा चुनाव में बसपा 9 और एलएसपी 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि विधानसभा में बसपा 35 और एलएसपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

राजकुमार सैनी कुरूक्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं और उन्होंने पिछले साल ही पार्टी से बगावत कर अपनी पार्टी बनायी है और हाल ही में जिंद मे हुए विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारा था और पार्टी प्रत्याशी ने इनेलो की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था। लिहाजा अब बसपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एलएसपी के साथ चुनावी गठबंधन किया है। चौटाला परिवार में पिछले एक साल से विवाद चल रहा है और इसके कारण पार्टी में दो गुट हो गए हैं। अजय चौटाला और उनके सांसद बेटे दुष्यंत चौटाला को पार्टी से निकाला जा चुका है। जिसके बाद पार्टी राज्य में कमजोर हो गयी है और इसका परिणाम जिंद में देखने को मिला।

जिसे चौटाला परिवार का गढ़ कहा जाता था। पिछले दिनों ही मायावती ने ऐलान किया था कि अगर चौटाला परिवार में एका नहीं होती है तो वह राज्य में इनेलो के साथ अपना चुनावी गठबंधन तोड़ देगी और दूसरी दल के साथ चुनावी गठबंधन करेगी। जींद में इंडियन नेशनल लोकदल को करारी हार मिलने के बाद बसपा ने राज्य में उसके साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन तोड़ दिया है। पहले बसपा ने हरियाणा में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने बूते ही लड़ने का फैसला लिया था लेकिन अब सैनी की पार्टी के साथ गठबंधन किया है। असल में जींद में हुए उपचुनाव में इनेलो तीसरे स्थान पर पहुंच गयी है जबकि जींद को इनेलो का गढ़ माना जाता है।

जींद में हार का सबसे बड़ा कारण चौटाला परिवार के बीच चली आ रही लड़ाई है। जिसके कारण इनेलो का राज्य में सबसे बड़ी हार मिली है। परिवार में चल रही खींचतान के कारण आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। लिहाजा बसपा ने भविष्य की आशंकाओं के कारण इनेलो के साथ चुनावी गठबंधन को तोड़ा है।असल में सन् 1998 में भी इनेलो-बसपा में गठबंधन हुआ। लोकसभा चुनाव साथ लड़ा लेकिन कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव से पहले 1999 में गठबंधन टूट गया। पिछले साल ही इनेलो और बसपा के बीच गठबंधन हुआ है। हाल ही में जिंद में चुनाव के दौरान इनेलो-बसपा गठबंधन को महज 3454 (2.63%) वोट ही मिले जबकि 2014 में अकेले बसपा को 13225 (10.87%) वोट मिले थे।